चेले और शागिर्द

गुरुवार, 10 मार्च 2011

नेता जी का गठबंधन !

'करूणा' का सागर भी सूखा ;
'राजा' देखो 'मन' से रूठा ,
जितना चाहा उतना लूटा
तब जाकर गठबंधन टूटा .
                                शिखा कौशिक
     http://netajikyakahtehain.blogspot.com/

4 टिप्‍पणियां:

Padm Singh ने कहा…

वाह क्या बात ... चार लाइनों मे आग लगा दी

Shalini kaushik ने कहा…

वास्तविकता से भरपूर..सार्थक पोस्ट

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत बढ़िया!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Bahut khoob ... gathbandhan ka sach likh diya ...