चेले और शागिर्द

गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

''हाँ हम कायर हैं !''[भारतीय किसान]

किसानों ने की निंदा, मांगा इस्तीफा
बेमौसम बारिश से तबाह किसानों की स्थिति पर कृषि मंत्री ओपी धनखड़ के संवदेनहीन बयान का किसानों ने तीखा जवाब दिया है। आत्महत्या करने वाले किसानों को कायर और अपराधी करार दिए जाने के धनखड़ के बयान की प्रदेश भर में निंदा की गई। [from amar ujala ]


हाँ हम कायर हैं !
हम खुद ही चढ़े हैं फांसी
और खा रहे हैं ज़हर !
जबकि इसके हकदार हैं
सत्ता में बैठे बहादुर !!
जिनको हमने ही चुनकर
पहुँचाया ,
फूलों का हार पहनाया ,
जयकारे लगाये उनके नाम के ,
और उन्होंने हमारे साथ की गद्दारी ,
भगवान के प्रकोप को
हम झेल जाते पर
सत्ता के शैतानों ने
छोड़ दिया हमारा हाथ और छोड़ दिया
 हमें हमारी तबाह फसलों के साथ ,
न आंसूं पोछनें कोई आया
और न मुआवज़ा  ही मिल पाया ,
हमारी ख़ुदकुशी का माहौल
इन सत्तासीनों ने ही तो बनाया ,
फिर भी करते हैं स्वीकार
हां हम कायर हैं !
वरना ऐसी क्रांति का बिगुल बजाते
कि सत्तासीन   गाढ़ी नींद
से जाग जाते ,
हर खेत जिसमे हुई है फसल तबाह
उस तक इन्हें खींच कर ले जाते ,
हक़ से मांगते मुआवज़ा  ,
और इन्हें जता देते
कि हम हैं मालिक देश के !
तुम केवल चौकीदार हो ,
पर हम ये नहीं कर पाये
इस लिए तुम ये कहने के हकदार हो
हम किसान ,
अन्न-दाता ,
खून-पसीना बहाकर
फसल उगाने वाले ,
सबका पेट भरने वाले ,
कायर हैं ,
हां हम कायर हैं !

शिखा कौशिक 'नूतन'

मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

किसान रैली ने हिला दी मोदी सरकार

Rahul Gandhi, Sonia Gandhi and Manmohan Singh at the kisan rally

पिछले लोकसभा चुनाव [मई २०१४] में बीजेपी के हाथों भारी पराजय की चोट खाई कॉंग्रेस पार्टी १९ अप्रैल २०१५ को दिल्ली में हुई ''किसान -खेतिहर मजदूर रैली '' में पहली बार अपने पुराने रंग में दिखी . सर्वाधिक वर्षों तक भारतीय जनता की प्रिय पार्टी रही कॉंग्रेस और इसके जोशीले -गरिमामय नेतृत्व ने इस रैली के माध्यम से यह साबित कर दिया कि यदि कोई पार्टी जनता से ''अच्छे दिनों का '' झूठा वादा कर , उनसे बहुमत पाकर , सत्ता मद में इतना डूब जाये कि बेमौसम बरसात के कारण देश के अन्न-दाता की दुर्दशा को देखकर भी नज़रअंदाज़ करने लगे और किसानों की ज़मीनों को पूजीपतियों को सौपने की साज़िश रचने लगे तब किसानों की सच्ची हितैषी पार्टी कॉंग्रेस अपने दम पर ऐसी मदांध पार्टी को न केवल ललकारेगी बल्कि एक-एक जिम्मेदार शख्स को सत्ता के गलियारों से घसीट कर जनता के बीच लाकर खड़ा कर देगी .
     एक भी किसान आज अगर अपनी फसले बर्बाद होने पर आत्म-हत्या कर रहा है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार को लेनी होगी .ये आत्म-हत्या नहीं बल्कि सरकार की लापरवाही के कारण उसके द्वारा की जा रही हत्या है .ऐसे में सरकार को चेताने और भूमि-अधिग्रहण अध्यादेश की किसान विरोधी बातों को किसानों तक पहुँचाने के लिए आयोजित ''किसान रैली '' ने मोदी सरकार को हिला डाला , तभी तो श्री मोदी अपनी खिसियाहट  छिपाने के लिए यह कहते नज़र आये '' कि हम किसानों की ज़मीने अम्बानी जैसों के लिए नहीं ले रहे '' तो क्या वे ''अडानी जैसों '' के लिए ले रहे हैं ?
     कॉंग्रेस  ने निराश-हताश किसानों के दिलों में फिर से न्याय -प्राप्ति की अलख जगाई है .अब यह कॉंग्रेस पार्टी व् इसके मजबूत नेतृत्व की जिम्मेदारी है कि वे किसानों की लड़ाई को मंज़िल तक पहुंचाए .सोनिया जी व् राहुल जी के नेतृत्व में ऐसा ही होगा -ऐसी हर भारतीय की शुभकामना है -
            खुले हाकिम की मक्कारी ,
         गिरे साज़िश की दीवारें !
        हमारे मुल्क की किस्मत 
          हमारे ''हाथ '' में होगी !


जय हिन्द !जय भारत !

शिखा कौशिक 'नूतन'