चेले और शागिर्द

शनिवार, 27 जनवरी 2018

मेरा वज़ूद ऐसा है !

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मेरे दुश्मन को है खलता , मेरा वज़ूद ऐसा है ,
गिराने से नहीं गिरता , मेरा वज़ूद ऐसा है !
दिलों में बस गया है जो ,फकत इक नाम ऐसा है ,
मिटाने से नहीं मिटता , मेरा वज़ूद ऐसा है !
मैं आगे हूँ या पीछे हूँ मगर फोकस में मैं ही हूँ ,
हटाने से नहीं हटता , मेरा वज़ूद ऐसा है !
मेरे दिल में उमड़ता मुल्क से जो इश्क -ए-समंदर ,
घटाने से नहीं घटता , मेरा वज़ूद ऐसा है !
अगर तूफ़ान हो तुम , मैं भी हूं जलता हुआ दीपक ,
बुझाने से नहीं बुझता ,मेरा वज़ूद ऐसा है !
शिखा कौशिक 'नूतन'

रविवार, 15 नवंबर 2015

आतंक के चेहरे पर ; किस मुंह से थूकते हैं !

महाराणा प्रताप बटालियन ने मनाया बलिदान दिवस

मुंबई में मना गोडसे का 'बलिदान दिवस'


जो गांधी के हत्यारे ;
गोडसे को पूजते हैं ,
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !
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गोडसे था मोहरा ;
पीछे थे लोग शातिर ,
जो रच रहे थे साज़िश ;
छद्म- हिंदुत्व खातिर ,
निहत्थे मसीहा के
कीलें ये ठोकते हैं !
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !
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दहशत फ़ैलाने वाले ;
बस क़त्ल करते जाते ,
मासूम खून से हैं ;
वो हाथ रंगते जाते ,
इंसानियत के दिल पर ;
चाकू  ये घोंपते हैं !
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !
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जायज़ न कहो हरगिज़ ;
बापू के क़त्ल को तुम ,
और मत करो शर्मिंदा ;
कातिल को पूजकर तुम ,
उन्मादियों से हम सब
बस इतना पूछते हैं !
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !

शिखा कौशिक 'नूतन'

सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

''हाँ ! कलम में है वो ताकत !''

The funeral procession for M. M. Kalburgi, a writer who was shot at point-blank range in his home in Karnataka, India, in August. CreditSTRDEL/AFP/Getty Images
है नहीं शमशीर कोई सिर कलम का काट दे !
हाँ ! कलम में है वो ताकत झूठ का सिर काट दे !
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ज़ालिमों का पर्दाफाश कर रही है जो कलम   ,
हौसलों के हाथ उसके कौन कैसे काट दे !
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सच की पहरेदार बन परवाज़ ऊँची भर रही ,
है अगर हिम्मत तो कातिल इसके पंख काट दे !
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झुक नहीं सकती कभी ज़ुल्मों-सितम के सामने ,
आग की लपटों को नामुमकिन है कोई काट दे !
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बेजुबान, अंधी , बहरी मत रहो 'नूतन' कलम ,
दुश्मनों के जिस्म आज टुकड़े-टुकड़े काट दे !


शिखा कौशिक 'नूतन' 

सोमवार, 25 मई 2015

अच्छे दिन का लालच देकर हाकिम सैर को जाते हैं !


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भूखी-प्यासी जनता ढूंढें नज़र नहीं वे आते हैं ,
अच्छे दिन का लालच देकर हाकिम सैर को जाते हैं !
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कभी-कभी मन की बातें कर जनता को बहलाते हैं ,
जनता को मीठी घुट्टी दे हाकिम सैर को जाते हैं !
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चायवाले हाकिम बनकर हाय पलट ही जाते हैं ,
सूट-बूट में ठाट-बाट से हाकिम सैर को जाते हैं !
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जाकर के परदेस में हाकिम कितनी रकम लुटाते हैं ,
मरो किसानों देश के प्यारो हाकिम सैर को जाते हैं !
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ऐसे अच्छे दिन से अच्छे पहले दिन ही भाते हैं ,
घर को आँख दिखाकर देखो हाकिम सैर को जाते हैं !

शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 20 मई 2015

धिक्कार है ऐसे प्रधानमंत्री को !

भारत के हर प्रधानमंत्री ने हर संभव प्रयास किया देश को विकास की राह पर ले जानें का पर ऐसा प्रचार नहीं किया जितना श्री मोदी कर रहे हैं .आज जो स्वागत श्री मोदी का विदेशों में हो रहा है वो एक भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में किया जा रहा है पर इसे श्री मोदी का व्यतिगत स्वागत के रूप में प्रचारित किया जा रहा है .विदेशी धरती पर श्री मोदी का बार-बार यह कहना कि एक वर्ष से पहले भारत बहुत ख़राब स्थिति में था और अब एक वर्ष में भारत दुनिया की बहुत उभरती हुई अर्थव्यवस्था हो गयी है -उनके अल्प-ज्ञान का उदहारण है .ऐसा प्रधानमंत्री न पहले कभी भारत का हुआ था और न होगा -जो विदेशों में ऐसे भाषण दे रहा है जैसे बिहार या उत्तर-प्रदेश में चुनाव-प्रचार के लिए भाषण दिए जा रहे हो . धिक्कार है ऐसे प्रधानमंत्री को  जो देश की गरिमा पूरे विश्व  में तार-तार कर रहा है .

मंगलवार, 19 मई 2015

मोदी :राष्ट्रनायक नहीं खलनायक !

Modi statements ??cause trouble for them

 मोदी ने की देश की बेइज्जती 

 मोदी ने कहा था कि कुछ समय पहले तक भारतीय देश में पैदा होने पर शर्म महसूस करते थे।

जब तक केंद्रीय सत्ता में नहीं थे ये 
भारत में जन्म लेने पर 
शर्म आती थी इन्हें !
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सत्ता में आते ही 
चमत्कार कर डाला 
भारत को तीन सौ पैंसठ दिन में 
विश्व की महाशक्ति बना डाला !
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एक वर्ष में तीस से ज्यादा 
विदेशों की यात्रा ,
ये है मोदी सरकार की 
उपलब्धि ,
विदेशी धरती पर 
दिए ऐसे भाषण कि
शर्मिदा है हर भारत वासी 
अरे मोदी जी !
भारत की अस्मिता 
मिटटी  में मिलकर रख दी !
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भारत को विश्व में सम्मान 
दिलाने वाले हमारे पूर्वज भी 
देख रहे होंगें ,
ये कैसा राष्ट्र-नायक आया ?
जिसने उनके अमूल्य योगदानों को 
दो  कौड़ी का बताया 
और सूट-बूट पहनकर 
खुद पर ही इतराया !
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ऐसे राष्ट्र-खलनायक 
पर लगना चाहिए 
राष्ट्र-अपमान का अभियोग !
शेख़चिल्लियों की जुबानों 
पर लगे निर्णायक रोक !
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सदैव से है 'भारत '
विश्व का गौरव ,
क्या बीता हुआ कल और 
क्या आने वाला कल ,
अगली बार जब चुनों 
राष्ट्र-नायक 
भावनाओं से ऊपर 
रखना अक्ल !

शिखा कौशिक 'नूतन'  



शनिवार, 16 मई 2015

''खुले हाकिम की मक्कारी ''

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खुले हाक़िम की मक्कारी
गिरें साज़िश की दीवारें ,
हमारे मुल्क की किस्मत
हमारे हाथ में होंगी !
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हमारे साथ गद्दारी
नहीं अब और कर सकते ,
हिला देंगें तेरी सत्ता
के इज़्ज़त खाक में होगी !
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हमें मजबूर कहकर
आग सीने में लगाते  हो ,
इसी से राख अब लंका
तुम्हारे दर्प की होगी !
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तुम्हारे खौफ से हरगिज़
नहीं अब लब रहेंगें चुप ,
खुलेगा हर गुनाह तेरा
तुझे शर्मिंदगी होगी !
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हमें तू क़त्ल कर ,काट दे ,
फांसी पर चढ़ा दे तू ,
खिलाफत की हमारी धार
हाकिम कुंद न होगी !


शिखा कौशिक 'नूतन'