चेले और शागिर्द

रविवार, 10 जुलाई 2011

दलितों की खैरख्वाह !

दलितों की खैरख्वाह !



दलितों के घर जाने का केवल मुझको अधिकार ;

मैं ही उनकी खैरख्वाह ;मुझको ही उनसे प्यार ;

राहुल की पदयात्रा -दलित प्रेम सब ढोंग;

मैं मीठी मिश्री सदृश ;राहुल है तीखी लौंग .


फ्लॉप शो !


ये तो था एक फ्लॉप शो -मेरी है ये राय ,
पंचायत ये थी कहाँ ?कोई मुझे समझाए ,
टिकट दीवाने थे जुटे ,न मजदूर -किसान
मैं सी.एम्.प्रदेश की, मुझको है सब पहचान .

शिखा कौशिक

1 टिप्पणी:

Shalini kaushik ने कहा…

maya ji ko ho n ho in sabki pahchan ,
aapko padh ye lagta hai aap sab gayee jan.
badhai hame bhi kuchh samjha dijiye.shikha ji.