चेले और शागिर्द

रविवार, 15 नवंबर 2015

आतंक के चेहरे पर ; किस मुंह से थूकते हैं !

महाराणा प्रताप बटालियन ने मनाया बलिदान दिवस

मुंबई में मना गोडसे का 'बलिदान दिवस'


जो गांधी के हत्यारे ;
गोडसे को पूजते हैं ,
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !
.......................................
गोडसे था मोहरा ;
पीछे थे लोग शातिर ,
जो रच रहे थे साज़िश ;
छद्म- हिंदुत्व खातिर ,
निहत्थे मसीहा के
कीलें ये ठोकते हैं !
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !
...................................
दहशत फ़ैलाने वाले ;
बस क़त्ल करते जाते ,
मासूम खून से हैं ;
वो हाथ रंगते जाते ,
इंसानियत के दिल पर ;
चाकू  ये घोंपते हैं !
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !
......................
जायज़ न कहो हरगिज़ ;
बापू के क़त्ल को तुम ,
और मत करो शर्मिंदा ;
कातिल को पूजकर तुम ,
उन्मादियों से हम सब
बस इतना पूछते हैं !
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !

शिखा कौशिक 'नूतन'

सोमवार, 26 अक्टूबर 2015

''हाँ ! कलम में है वो ताकत !''

The funeral procession for M. M. Kalburgi, a writer who was shot at point-blank range in his home in Karnataka, India, in August. CreditSTRDEL/AFP/Getty Images
है नहीं शमशीर कोई सिर कलम का काट दे !
हाँ ! कलम में है वो ताकत झूठ का सिर काट दे !
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ज़ालिमों का पर्दाफाश कर रही है जो कलम   ,
हौसलों के हाथ उसके कौन कैसे काट दे !
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सच की पहरेदार बन परवाज़ ऊँची भर रही ,
है अगर हिम्मत तो कातिल इसके पंख काट दे !
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झुक नहीं सकती कभी ज़ुल्मों-सितम के सामने ,
आग की लपटों को नामुमकिन है कोई काट दे !
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बेजुबान, अंधी , बहरी मत रहो 'नूतन' कलम ,
दुश्मनों के जिस्म आज टुकड़े-टुकड़े काट दे !


शिखा कौशिक 'नूतन' 

सोमवार, 25 मई 2015

अच्छे दिन का लालच देकर हाकिम सैर को जाते हैं !


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भूखी-प्यासी जनता ढूंढें नज़र नहीं वे आते हैं ,
अच्छे दिन का लालच देकर हाकिम सैर को जाते हैं !
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कभी-कभी मन की बातें कर जनता को बहलाते हैं ,
जनता को मीठी घुट्टी दे हाकिम सैर को जाते हैं !
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चायवाले हाकिम बनकर हाय पलट ही जाते हैं ,
सूट-बूट में ठाट-बाट से हाकिम सैर को जाते हैं !
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जाकर के परदेस में हाकिम कितनी रकम लुटाते हैं ,
मरो किसानों देश के प्यारो हाकिम सैर को जाते हैं !
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ऐसे अच्छे दिन से अच्छे पहले दिन ही भाते हैं ,
घर को आँख दिखाकर देखो हाकिम सैर को जाते हैं !

शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 20 मई 2015

धिक्कार है ऐसे प्रधानमंत्री को !

भारत के हर प्रधानमंत्री ने हर संभव प्रयास किया देश को विकास की राह पर ले जानें का पर ऐसा प्रचार नहीं किया जितना श्री मोदी कर रहे हैं .आज जो स्वागत श्री मोदी का विदेशों में हो रहा है वो एक भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में किया जा रहा है पर इसे श्री मोदी का व्यतिगत स्वागत के रूप में प्रचारित किया जा रहा है .विदेशी धरती पर श्री मोदी का बार-बार यह कहना कि एक वर्ष से पहले भारत बहुत ख़राब स्थिति में था और अब एक वर्ष में भारत दुनिया की बहुत उभरती हुई अर्थव्यवस्था हो गयी है -उनके अल्प-ज्ञान का उदहारण है .ऐसा प्रधानमंत्री न पहले कभी भारत का हुआ था और न होगा -जो विदेशों में ऐसे भाषण दे रहा है जैसे बिहार या उत्तर-प्रदेश में चुनाव-प्रचार के लिए भाषण दिए जा रहे हो . धिक्कार है ऐसे प्रधानमंत्री को  जो देश की गरिमा पूरे विश्व  में तार-तार कर रहा है .

मंगलवार, 19 मई 2015

मोदी :राष्ट्रनायक नहीं खलनायक !

Modi statements ??cause trouble for them

 मोदी ने की देश की बेइज्जती 

 मोदी ने कहा था कि कुछ समय पहले तक भारतीय देश में पैदा होने पर शर्म महसूस करते थे।

जब तक केंद्रीय सत्ता में नहीं थे ये 
भारत में जन्म लेने पर 
शर्म आती थी इन्हें !
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सत्ता में आते ही 
चमत्कार कर डाला 
भारत को तीन सौ पैंसठ दिन में 
विश्व की महाशक्ति बना डाला !
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एक वर्ष में तीस से ज्यादा 
विदेशों की यात्रा ,
ये है मोदी सरकार की 
उपलब्धि ,
विदेशी धरती पर 
दिए ऐसे भाषण कि
शर्मिदा है हर भारत वासी 
अरे मोदी जी !
भारत की अस्मिता 
मिटटी  में मिलकर रख दी !
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भारत को विश्व में सम्मान 
दिलाने वाले हमारे पूर्वज भी 
देख रहे होंगें ,
ये कैसा राष्ट्र-नायक आया ?
जिसने उनके अमूल्य योगदानों को 
दो  कौड़ी का बताया 
और सूट-बूट पहनकर 
खुद पर ही इतराया !
......................................
ऐसे राष्ट्र-खलनायक 
पर लगना चाहिए 
राष्ट्र-अपमान का अभियोग !
शेख़चिल्लियों की जुबानों 
पर लगे निर्णायक रोक !
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सदैव से है 'भारत '
विश्व का गौरव ,
क्या बीता हुआ कल और 
क्या आने वाला कल ,
अगली बार जब चुनों 
राष्ट्र-नायक 
भावनाओं से ऊपर 
रखना अक्ल !

शिखा कौशिक 'नूतन'  



शनिवार, 16 मई 2015

''खुले हाकिम की मक्कारी ''

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खुले हाक़िम की मक्कारी
गिरें साज़िश की दीवारें ,
हमारे मुल्क की किस्मत
हमारे हाथ में होंगी !
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हमारे साथ गद्दारी
नहीं अब और कर सकते ,
हिला देंगें तेरी सत्ता
के इज़्ज़त खाक में होगी !
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हमें मजबूर कहकर
आग सीने में लगाते  हो ,
इसी से राख अब लंका
तुम्हारे दर्प की होगी !
......................................
तुम्हारे खौफ से हरगिज़
नहीं अब लब रहेंगें चुप ,
खुलेगा हर गुनाह तेरा
तुझे शर्मिंदगी होगी !
........................................
हमें तू क़त्ल कर ,काट दे ,
फांसी पर चढ़ा दे तू ,
खिलाफत की हमारी धार
हाकिम कुंद न होगी !


शिखा कौशिक 'नूतन'

सोमवार, 4 मई 2015

''हो रही मोहब्बतें ख़ाक के सुपुर्द हैं ! ''

पिछले शुकवार की रात [१ मई २०१५] को महाराष्ट्र से आ रहे जमातियों से बड़ौत रेलवे स्टेशन पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा बदसलूकी और जमातियों के पक्ष में आये सम्प्रदाय विशेष के उग्र समर्थकों द्वारा थाने व् रेलवे स्टेशन पर किये गए हिंसक प्रदर्शन ने कांधला [शामली] कसबे के अमन-चैन को तहस-नहस कर डाला . कांधला फाटक पर हुए बवाल के चलते दिल्ली-सहारनपुर रूट पर कई ट्रेन बाधित हुई थीं। हजारों यात्री मुसीबत में फंसे थे। तोड़फोड़, पथराव के बाद दहशतजदा यात्री जंगलों में छिपकर यहां से निकले। ऐसी घटनाओं से आम जन का दैनिक जीवन अनेक समस्याओं से भर जाता है . असामाजिक तत्वों की करतूतों को रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए और ऐसी वारदातें फिर न हो इसके लिए जिम्मेदार नागरिकों को अमन -चैन बनाये रखने हेतु अपने स्तर से प्रयासरत रहना होगा .कोई भी ऐसा काम न करें जिससे किसी दुसरे धर्म के अनुयायी की भावनाओं को ठेस पहुंचे . वरना यही कहना होगा - माहौल तो काबू में है ; चेहरे ज़र्द हैं ! नफरतों के बोझ से दिलों में दर्द हैं ! ....................................................... है ज़हालत का ये सारा खेल कितना खौफनाक , हो रही मोहब्बतें ख़ाक के सुपुर्द हैं ! ......................................................... फ़सादी लूटते हैं जो औरतों की अस्मतें , जानवर हैं वे सभी ; मर्द वे नामर्द हैं ! ......................................................... बेमुरौवत नफरतों की आग हैं भड़का रहे , ये अमन की आँख में झोंक रहे गर्द हैं ! .......................................................... मिट रहा 'नूतन' सुरूर आपसी यक़ीन का , हो बाज़ार या मिज़ाज़ पड़ गए ये सर्द हैं ! शिखा कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

''हाँ हम कायर हैं !''[भारतीय किसान]

किसानों ने की निंदा, मांगा इस्तीफा
बेमौसम बारिश से तबाह किसानों की स्थिति पर कृषि मंत्री ओपी धनखड़ के संवदेनहीन बयान का किसानों ने तीखा जवाब दिया है। आत्महत्या करने वाले किसानों को कायर और अपराधी करार दिए जाने के धनखड़ के बयान की प्रदेश भर में निंदा की गई। [from amar ujala ]


हाँ हम कायर हैं !
हम खुद ही चढ़े हैं फांसी
और खा रहे हैं ज़हर !
जबकि इसके हकदार हैं
सत्ता में बैठे बहादुर !!
जिनको हमने ही चुनकर
पहुँचाया ,
फूलों का हार पहनाया ,
जयकारे लगाये उनके नाम के ,
और उन्होंने हमारे साथ की गद्दारी ,
भगवान के प्रकोप को
हम झेल जाते पर
सत्ता के शैतानों ने
छोड़ दिया हमारा हाथ और छोड़ दिया
 हमें हमारी तबाह फसलों के साथ ,
न आंसूं पोछनें कोई आया
और न मुआवज़ा  ही मिल पाया ,
हमारी ख़ुदकुशी का माहौल
इन सत्तासीनों ने ही तो बनाया ,
फिर भी करते हैं स्वीकार
हां हम कायर हैं !
वरना ऐसी क्रांति का बिगुल बजाते
कि सत्तासीन   गाढ़ी नींद
से जाग जाते ,
हर खेत जिसमे हुई है फसल तबाह
उस तक इन्हें खींच कर ले जाते ,
हक़ से मांगते मुआवज़ा  ,
और इन्हें जता देते
कि हम हैं मालिक देश के !
तुम केवल चौकीदार हो ,
पर हम ये नहीं कर पाये
इस लिए तुम ये कहने के हकदार हो
हम किसान ,
अन्न-दाता ,
खून-पसीना बहाकर
फसल उगाने वाले ,
सबका पेट भरने वाले ,
कायर हैं ,
हां हम कायर हैं !

शिखा कौशिक 'नूतन'

मंगलवार, 21 अप्रैल 2015

किसान रैली ने हिला दी मोदी सरकार

Rahul Gandhi, Sonia Gandhi and Manmohan Singh at the kisan rally

पिछले लोकसभा चुनाव [मई २०१४] में बीजेपी के हाथों भारी पराजय की चोट खाई कॉंग्रेस पार्टी १९ अप्रैल २०१५ को दिल्ली में हुई ''किसान -खेतिहर मजदूर रैली '' में पहली बार अपने पुराने रंग में दिखी . सर्वाधिक वर्षों तक भारतीय जनता की प्रिय पार्टी रही कॉंग्रेस और इसके जोशीले -गरिमामय नेतृत्व ने इस रैली के माध्यम से यह साबित कर दिया कि यदि कोई पार्टी जनता से ''अच्छे दिनों का '' झूठा वादा कर , उनसे बहुमत पाकर , सत्ता मद में इतना डूब जाये कि बेमौसम बरसात के कारण देश के अन्न-दाता की दुर्दशा को देखकर भी नज़रअंदाज़ करने लगे और किसानों की ज़मीनों को पूजीपतियों को सौपने की साज़िश रचने लगे तब किसानों की सच्ची हितैषी पार्टी कॉंग्रेस अपने दम पर ऐसी मदांध पार्टी को न केवल ललकारेगी बल्कि एक-एक जिम्मेदार शख्स को सत्ता के गलियारों से घसीट कर जनता के बीच लाकर खड़ा कर देगी .
     एक भी किसान आज अगर अपनी फसले बर्बाद होने पर आत्म-हत्या कर रहा है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार को लेनी होगी .ये आत्म-हत्या नहीं बल्कि सरकार की लापरवाही के कारण उसके द्वारा की जा रही हत्या है .ऐसे में सरकार को चेताने और भूमि-अधिग्रहण अध्यादेश की किसान विरोधी बातों को किसानों तक पहुँचाने के लिए आयोजित ''किसान रैली '' ने मोदी सरकार को हिला डाला , तभी तो श्री मोदी अपनी खिसियाहट  छिपाने के लिए यह कहते नज़र आये '' कि हम किसानों की ज़मीने अम्बानी जैसों के लिए नहीं ले रहे '' तो क्या वे ''अडानी जैसों '' के लिए ले रहे हैं ?
     कॉंग्रेस  ने निराश-हताश किसानों के दिलों में फिर से न्याय -प्राप्ति की अलख जगाई है .अब यह कॉंग्रेस पार्टी व् इसके मजबूत नेतृत्व की जिम्मेदारी है कि वे किसानों की लड़ाई को मंज़िल तक पहुंचाए .सोनिया जी व् राहुल जी के नेतृत्व में ऐसा ही होगा -ऐसी हर भारतीय की शुभकामना है -
            खुले हाकिम की मक्कारी ,
         गिरे साज़िश की दीवारें !
        हमारे मुल्क की किस्मत 
          हमारे ''हाथ '' में होगी !


जय हिन्द !जय भारत !

शिखा कौशिक 'नूतन' 

सोमवार, 2 फ़रवरी 2015

बढ़ता भ्रष्टाचार -उत्तरदायी हम !


बढ़ता  भ्रष्टाचार  ...जिम्मेदार कौन   !

हम अक्सर अपने देश की विकास गति बाधित होने ; समस्याओं का समाधान न होने अथवा भ्रष्टाचार के लिए अपने नेताओं को पूर्णरूप से उत्तरदायी ठहरा देते हैं;किन्तु सच्चाई के साथ स्वीकार करें तो हम भी कम जिम्मेदार  नहीं है. पंचायत से लेकर लोकसभा चुनाव तक कितने मतदाता है जो अपने घर आए प्रत्याशी से साफ-साफ यह कह दें क़ि हमें अपने निजी हित नहीं सार्वजानिक हित में आपका योगदान चहिये.हम खुद यह सोचने लगते है क़ि यदि हमारा जानकर व्यक्ति चुन लिया गया तो हमारे काम आसानी से हो जायेंगे.चुनाव -कार्यालय के उद्घाटन से लेकर वोट खरीदने तक का खर्चा हमारे प्रतिनिधि पञ्च वर्ष में निकाल   लेते हैं.हमारे प्रतिनिधि हैं ;हममें से हैं-भ्रष्ट  हैं -तो हम कैसे ईमानदार हैं?  नगरपालिका से लेकर लोकसभा तक में हमारा प्रतिनाधित्व करने वाले व्यक्ति उसी मिटटी; हवा; प्रकाश; जल ;से बने हैं-जिससे हम बने हैं. यदि हम ईमानदार समाज ;राष्ट्र  चाहते हैं तो हुमेंपहले खुद ईमानदार होना होगा . हमें खुद से यह प्रण करना होगा क़ि हम अपने किसी काम को करवाने के लिए रिश्वत-उपहार नहीं देंगे;यहाँ तक क़ि किसी रेस्टोरेंट के वेटर को टिप तक नहीं देंगे. ये टिप ;ये उपहार; रिश्वत- सरकारी  निजी विभागों   में बैठे  कर्मचारियों;वेटर; प्रत्येक विभाग  के ऊपर से लेकर नीचे तक के अधिकारियोंमे लोभ रूपी राक्षस को जगाकर भ्रष्टाचार  का मार्ग प्रशस्त करते हैं.टिप पाने वाला आपका काम अतिरिक्त स्नेह से करता है किन्तु अन्य के प्रति ;जो टिप नहीं दे सकता ; उपेक्षित व्यवहार  करता है ...मतलब  साफ़ है प्रत्येक    के प्रति समान कर्तव्य निर्वाह -भाव से बेईमानी. सरकारी नौकरी लगवानी हो तो इतने रूपये तो देने ही होंगे-ऐसे विवश-वचन प्रत्येक  नागरिक के मुख पर है.क्यों नहीं हम कहते क़ि नौकरी लगे या न लगे मैं एक भी पैसा नहीं दूंगा..कुछ लोग इस सम्बन्ध में हिसाब लगाकर कहते हैं-एक बार दे दो फिर जीवन भर मौज करो! किन्तु आप यह रकम देकर न केवल किसी और योग्य का पद छीन रहें हैं बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी भी भ्रष्टाचार संस्कार रूप में दे रहें हैं. ईश्वर-अल्लाह-गुरुनानक-ईसा मसीह---- जिसके भी आप भक्त हैं ;जिसमे भी आप आस्था रखते हैं; उनके समक्ष खड़े होकर ;आप एकांत   में यदि यह कहें क़ि मैने  ये भ्रष्ट आचरण इस कारण या उस कारण किया है तो प्रभु हसकर कहेंगे--यदि तूने  कुछ गलत नहीं किया है तो मुझे बताकर अपने कार्य को न्यायोचित क्यों ठहराना चाह रहा है. अत: अपनी आत्मा  को न मारिये !भ्रष्टाचार को स्वयं के स्तर से समाप्त करने का प्रयास कीजिये.

शिखा  कौशिक  'नूतन '

बुधवार, 21 जनवरी 2015

जीत तो दिल्ली की जनता की ही होगी !


दिल्ली की जनता जैसा  भाग्यशाली कौन होगा ! आने वाले चुनावों  में मुख्यमंत्री पद पर जिन तीन प्रत्याशियों के नाम सामने आये हैं वे तीनों ही -ईमानदार हैं , काबिल हैं .  आखिर दिल्ली की जनता को ही  श्रेय जाता है कि उसने बीजेपी को विवश किया कि वो एक ईमानदार व् साफ़ छवि वाली किरण बेदी जो मुंख्यमंत्री के रूप में पार्टी का चेहरा बनाये .दूसरी और कॉंग्रेस ने भी शीला दीक्षित युग से बाहर आते हुए अजय माकन जी को पार्टी का चेहरा बनाया है .हालाँकि जनता की इस मांग को पार्टी में मनवाने के लिए राहुल जी को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है . तीसरी और सबसे विस्फोटक ईमानदार पार्टी ''आप'' के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अरविन्द केजरीवाल जी  के बारे में क्या कहना ! वे तो हैं ही जनता का प्रोडक्ट . जो भी पार्टी जीते ये तो निश्चित है कि दिल्ली को एक काबिल व् ईमानदार मुंख्यमंत्री मिलेगा .इससे बढ़कर भारतीय-राजनीति के लिए और क्या सुखद समाचार हो सकता है .

शिखा कौशिक 'नूतन'

रविवार, 18 जनवरी 2015

''किरण की लोकप्रियता दांव पर !''



राजनीति में आकर किरण बेदी जी ने अपनी लोकप्रियता दांव पर लगा दी है . यदि वे अपने बल पर बीजेपी को दिल्ली में बहुमत दिला पाती हैं तब उनकी जय-जयकार पक्की है किन्तु यदि वे इसमें असफल होती हैं तब उनका राजनैतिक कैरियर यही समाप्त हो जायेगा . अपनी कार्यशैली अथवा योग्यता के आधार पर समाज में लोकप्रियता हासिल करने वाले व्यक्ति जब भी राजनीति में आये उन्हें एक सीमा के बाद इससे किनारा  करना पड़ा .किरण बेदी जी एक ईमानदार व् काबिल अधिकारी रही हैं .वे दिल्ली की मुख्यमंत्री बनें तो दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की गरिमा को बढ़ाएंगी किन्तु राजनीति में ऐसे ईमानदार व्यक्ति को किस तरह से प्रताड़ित किया जाता है ऐसे  कई उदाहरणों से भारतीय-राजनीति का  इतिहास  भरा पड़ा है . राजनीति के शातिर खिलाडी इन लोकप्रिय चेहरों को पार्टी की जीत के लिए इस्तेमाल करते हैं और जब ये उनकी पार्टी को जीत दिला देते हैं तब पार्टी-अनुशासन के नाम पर इनकी कार्य-शैली को निशाना बनाया जाता है .किरण जी ने अपने पहले राजनैतिक कदम में ही बहुत बड़ा जोखिम उठा लिया है .यदि खुलकर कहें तो उनसे ये उम्मीद नहीं थी .

शिखा कौशिक 'नूतन'

रविवार, 11 जनवरी 2015

''राहुल बनें कॉंग्रेस-अध्यक्ष ''


होर्डिंग से खड़ा किया नया विवादImage result for rahul gandhi free images


मंगलवार [दिनाँक -१३ जनवरी २०१५] को आयोजित होने वाली कॉंग्रेस कार्यसमिति की महत्वपूर्ण बैठक में जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण विचारणीय  मुद्दा होगा -वह होगा पार्टी के नेतृत्व सम्बन्धी  लिए जाने वाले निर्णय का .एक ओर कानपुर में पार्टी के प्रमुख नेता राजीव शुक्ला जी ने बयान दिया है कि पार्टी नेतृत्व में क्या बदलाव किया जाये इस पर निर्णय केवल सोनिया जी व् राहुल जी लेंगें वहीं पार्टी के अनेक कार्यकर्त्ता प्रियंका गांधी जी को पार्टी की कमान सौपने की मांग लेकर जोशीला अभियान चला रहे   है . अब प्रश्न यह उठता   है कि   अपने सबसे बुरे दौर से गुजरती हुई देश की सबसे बड़ी पार्टी की नैय्या पार लगाने  में कौन सक्षम है  ? कसौटी  पर यदि राहुल जी को खरा बताया जाता है तब इसमें किसी भी प्रकार के मतभेद की सम्भावना नहीं .चुनावों में हार-जीत  के लिए केवल राहुल जी को  जिम्मेदार ठहराना तर्क-संगत नहीं . हमने देखा  कि चुनावों  के पास आते ही दस साल से कितने ही सत्ता का सुख भोग  रहे माननीय नेतागण पार्टी को ठेंगा दिखाकर अपने घर जाकर बैठ गए और राहुल जी व् सोनिया जी देश भर में रैलियां कर पार्टी की नीतियों व् कार्यों का प्रचार अकेले दम पर करते रहे . इसीलिए हार का ठीकरा भी उनके सिर पर फोड़ दिया गया .यदि आप जनता में जाकर पूछें  तो जनता का गुस्सा   उन निठल्ले   नेताओं के प्रति था न कि सोनिया जी व् राहुल जी के प्रति .राहुल जी ने गरीब जनता ,किसानों , महिलाओं के हितों को ध्यान में रखकर पिछले दस सालों में बहुत काम किया है .वे झूठी आशाएं नहीं बँधातें . वे अनुशासित तरीके से देश की व्यवस्था को पटरी पर लाना चाहते हैं .वे केवल अपने को प्रोडक्ट बनाकर प्रचारित नहीं करते .वे सबके सहयोग से देश की तरक्की की बात करते हैं . उनको पार्टी  यदि अध्यक्ष पद पर सुशोभित करना चाहती है तो इससे बढ़कर हर्ष की बात नहीं हो सकती है .प्रियंका जी को तो अभी पार्टी में आकर संगठन में दस साल का योगदान देना चाहिए और राहुल जी के नेतृत्व में पार्टी को मजबूत बनाने में सहयोग करना चाहिए . एक दम से उन्हें पार्टी-अध्यक्ष बना देना उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं होगा . पार्टी-कार्यकर्ताओं को भी इस हकीकत को जानना व् समझना चाहिए . जोश में होश न खोएं .

शिखा कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 8 जनवरी 2015

करीना पर ही क्यों निशाना !

क्यों छापा करीना का चेहरा?
करीना पर ही क्यों निशाना !

लव-जिहाद को संघ ने जितनी  बड़ी इस्लामिक साजिश के रूप में भारत की हिन्दू-संस्कृति के लिए खतरा बताया है उसको देखते हुए विश्व हिन्दू परिषद की महिला  पत्रिका ''हिमालय वाहिनी ' के कवर पेज पर करीना कपूर  का  फोटो  प्रकाशित   करना  कतई  उचित  नहीं   .करीना पहली  अभिनेत्री  नहीं  हैं जिन्होंने  एक  मुस्लिम  पुरुष  से  निकाह  किया  है .उनकी  सास  शर्मीला  टैगोर  उनसे  कम  से  कम  तीन  साढ़े  तीन  दशक  पहले  ऐसा  कर  चुकी  हैं . लव-जिहाद जैसे गंभीर  मुद्दे को किसी एक सेलिब्रिटी से जोड़कर हिन्दू संगठन कोई सार्थक सन्देश भारतीय समाज में प्रेषित नहीं कर रहा है . ये कहना कि युवा वर्ग इनसे प्रेरणा पाकर भ्रमित होता  है नितांत गलत   है .ये युवा वर्ग ही है जो इन अभिनेत्रियों के द्वारा अंग-प्रदर्शन किये जाने पर इनका विरोध करता है .मतलब ये कि हमारा युवा वर्ग अँधा नहीं जो इनके किये हर काम का अन्धानुसरण करे . ये अभिनेत्रियां फैशन आइकॉन बन सकती हैं पर संस्कार रोपने का काम ये नहीं करती .लव-जिहाद यदि एक साजिश है तो इसे हिन्दू परिवार अपनी संतानों में हिन्दू-संस्कार भरकर ही विफल कर सकते हैं . एक प्रश्न यहाँ यह भी उठाया  जा सकता है कि जब बीजेपी के मुस्लिम नेता हिन्दू लड़की से निकाह करते हैं तब विश्व हिन्दू परिषद न तो संज्ञान लेकर हंगामा करती हैं और न ही उन लड़कियों के फोटो को अपनी पत्रिका के कवर पर स्थान देती हैं फिर करीना को ही इतना प्रताड़ित करने की क्या जरूरत है ? वैसे भी धर्म व्यक्तिगत मुद्दा है .यदि करीना को इस्लाम अपनाने में कोई आपत्ति नहीं तब विश्व हिन्दू परिषद क्यों अपने सिर में दर्द करती है . लव-जिहाद कोई साजिश नहीं बल्कि भारतीय हिन्दू परिवारों के  मर्यादित आचरण का खंडित  होना है जिसे केवल हिन्दू परिवार ही पुनः सशक्त कर सकते हैं . दुसरे  धर्मावलम्बियों  को बुराई देने से कोई फायदा  नहीं होने वाला .

शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 7 जनवरी 2015

'क्यों बौखलाए शाह कॉंग्रेस से ?''

शाह ने कांग्रेस को लिया आड़ें हाथों

कांग्रेस भारत में चुनाव लड़ रही है या पाकिस्तान में'

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जी इस मुद्दे पर न  ही  बोलते  तो  ज्यादा अच्छा होता , पर  वे बोले  और  वही  बोले  जिसकी  उम्मीद  थी .- ''ओडिशा के अपने पहले दौरे पर शाह ने मंगलवार को  कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए सवाल किया कि विपक्षी पार्टी भारत में चुनाव लड़ रही है या पाकिस्तान में। ''कॉंग्रेस मुक्त भारत की कल्पना करने वालों से और  किस  प्रकार  के  भाषण की अपेक्षा रखी जा सकती है ?पोरबंदर के पास पाकिस्तानी नाव घुसने की घटना पर  न कोई तथ्यात्मक बयान , न कोई प्रमाण बस रक्षा मंत्री जी से इतना बयान दिलवा दिया गया है कि -''नौका में संदिग्ध आतंकवादी थे .'' चलिए मान लेते हैं कि उस नौका में आतंकवादी ही थे जिन्हें पाकिस्तान ने भारत में फिर से ''मुंबई हमले '' जैसी घटना को अंजाम देने के लिए भेजा था .हमारे तट-रक्षकों ने उनकी चाल विफल कर दी इसके लिए वे बधाई के पात्र है पर यहाँ भी सरकार कॉंग्रेस से तो ये उम्मीद लगाये है कि  कांग्रेस सुरक्षा बलों के मनोबल को बढ़ाये पर स्वयं  हमला रोकने के लिए सरकार की तारीफ को सुरक्षा बलों की तारीफ से ज्यादा तवज्जो दे रही है . वैसे अमित शाह जी  का सवाल मामूली सवाल नहीं है .वे किस कदर परेशान है कॉंग्रेस के पलटवारों से यही साबित करते हैं ऐसे सवाल .अमित शाह जी आप तो अभी अभी गुजरात से निकले हैं .''कुछ दिन बिताइये दिल्ली में ''तब समझेंगें आप कि कॉंग्रेस कहाँ से चुनाव लड़ रही है .कॉंग्रेसी भारत में रहकर ही विरोधियों को पटखनी देने की हिम्मत रखते हैं .इसके लिए दुसरे देश का सहारा लेने की जरूरत कॉंग्रेस को  नहीं .हाँ !आप को यदि  भारत और पाकिस्तान का अंतर समझ नहीं आ रहा है तो आप शौक से पाकिस्तान घूम कर आ सकते हैं और कॉंग्रेस वहां चुनाव तो नहीं लड़ रही इसकी खोज-खबर भी ले सकते हैं .वैसे भी नवाब शरीफ साहब को मोदी जी के शपथ-ग्रहण समारोह  में बुलाकर आप लोगों ने शरीफ साहब से अपनी मेहमान नवाजी तो पक्की कर  ही ली थी .

शिखा कौशिक 'नूतन' 

मंगलवार, 6 जनवरी 2015

नाम पाकिस्तान है ,तेरा काम-तमाम है !





मुल्क बड़ा शैतान है ,
नाम  पाकिस्तान है !
बरसाता सीमा पर गोले ,
जबकि युद्ध-विराम है !
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बड़े अकड़कर अलग हुए थे ;
बांटा था जब हिन्दुस्तान !
ज़न्नत जैसी ज़मी को तुमने  ,
बना दिया है कब्रिस्तान !
फिर भी कितना अभिमान है !
नाम पाकिस्तान है !
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अमन-चैन का दुश्मन है ,
झूठों में नंबर वन है ,
आतंक का पर्याय है ,
सबको आँख दिखाए है !
कितना बेईमान है !
नाम पाकिस्तान है !
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दुनिया भर के आतंकी ,
यहाँ शरण पा जाते हैं ,
मासूमों के कातिल भी ,
''साहिब'' का रुतबा पाते हैं ,
दहशत फैलाना काम है !
नाम पाकिस्तान है !
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अपनी चालों में फंस जाते  ,
अपने बच्चे क़त्ल कराते ,
तब भी मक्कारी न छोड़ें ,
हम पर हैं इल्ज़ाम लगाते ,
दुनिया में बदनाम हैं !
नाम पाकिस्तान है !
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बहकाकर ये नवयुवकों को ,
ज़ालिम दहशतगर्द बनाते ,
भरी जवानी में उनको ये ,
बदनामी की मौत सुलाते ,
देकर 'जिहाद' का नाम हैं !
नाम पाकिस्तान है !
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कितने नीच हैं ये मक्कार ,
छिप-छिप कर करते हैं वार ,
लाशें अपने सैनिकों की
लेने से करते इंकार ,
मानवता पर इल्ज़ाम है  !
नाम पाकिस्तान है !
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मासूमों को बना निशाना ,
खेल रहा क्यूँ खुनी खेल !
बाज़ नहीं आया ग़र बुझदिल ,
देंगें तुझको परे धकेल ,
तेरा काम-तमाम है !
नाम पाकिस्तान है !

जय हिन्द ! जय भारत !

शिखा कौशिक 'नूतन'





सोमवार, 5 जनवरी 2015

''कैसी घर वापसी ''



गरीब केवल गरीब होता है ,
वो न हिन्दू होता है
वो न मुसलमान होता है !
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उसको सुबह होते ही
चिंता  सताती है
बच्चों के पेट की
आग बुझाने की

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वो दिन भर मरता है
कटता है ,
धूप  में जलता है ,
बारिश में गलता है ,
ठण्ड में ठिठुरता  है
खींचता है रिक्शा ,
ठेलता है रेहड़े
,कमर पर उठाता है
सीमेंट के भरे
भारी कट्टे!
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उसमे कहाँ दम वो
 चर्चाओं में हो शामिल
धर्म पर करे
विचार-विमर्श ,
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उसका कोई घर भी कहाँ
जो कर सके
''घर वापसी ''


शिखा कौशिक 'नूतन

रविवार, 4 जनवरी 2015

''सच जानने का कॉंगेस सहित पूरे देश को हक़ है ''

PUBLISHED IN 'JANVANI 'S CYBER WORLD ON 5-1-2015





Pakistani Boat Carrying Explosives Blows Up at Sea Off Porbandar-Pak boat blasts,burns-Paki boat- दो दिन पूर्व आई इस खबर ने जैसे तहलका ही मचा दिया . भारत-सरकार ने दावा किया कि यह नौका विस्फोटकों से भरी थी और भारतीत तट-रक्षकों द्वारा पीछा किये जाने पर नौका में विस्फोट हो गया और उसमे सवार चारों लोग सहित सब कुछ समुन्द्र में डूब गया . भारत सरकार के इस दावें पर जब कॉंग्रेस ने ये प्रश्न-चिन्ह लगाये कि सरकार  ये स्पष्ट करे कि किस आतंकी संगठन ने इस घटना को अंजाम दिया और सरकार ने किन तथ्यों पर इस घटनाको आतंकवादियों से जोड़ा ? तब  बीजेपी के प्रवक्ता  श्रीकांत शर्मा  द्वारा कॉंग्रेस पर ही पलटवार करते हुए कॉंग्रेस को आतंकियों की भाषा बोलने वाला कहा गया  . यह  अत्यंत निंदनीय है .उन्हें जानना चाहिए कि बीजेपी के शासन में संसद पर हुए हमले के आरोपी अफज़ल गुरु को कॉंग्रेस के राज में ही फांसी पर लटकाया गया और मुंबई में ताज होटल में हुए आतंकी हमले का दोषी अजमल कसाब भी कॉंग्रेस के राज में ही फांसी पर चढ़ा दिया गया . किसी भी घटना का सच जानने का अधिकार हर भारतीय को है .इसका अर्थ यह नहीं कि प्रश्न पूछने वाला आतंकवादियों का पक्ष ले रहा बल्कि इसे इस रूप में लिया जाना चाहिए कि कहीं त्रुटिवश आप एक साधारण घटना को आतंकी कार्यवाही का नाम देकर देश को दहशत के दलदल में तो नहीं डाल रहे है . श्रीकांत शर्मा  द्वारा किया गया पलटवार ये भी साबित करता है कि बीजेपी केवल स्वयं को देशभक्त और अन्य सभी पार्टियों को गद्दार की संज्ञा देने की सोच रखती है जबकि कॉंग्रेस के ६० साल के राज में आज तक देश अपनी पूरी गरिमा के साथ विश्व में महत्वपूर्ण स्थान बनाये हुए है . आप आतंक या पाकिस्तान का नाम लेकर यदि देश -वासियों को अपने मजबूत नेतृत्व के भुलावे में डालने का प्रयास करते रहिये लेकिन सच न तो कभी दबता है और न ही दबेगा .

शिखा कौशिक 'नूतन

शनिवार, 3 जनवरी 2015

''पर उपदेश कुशल मोदी तेरे ''

लोकतंत्र में आरोप नहीं बल्कि आलोचना जरूरी : पीएम


सत्ता  में  आते  ही किस तरह सुर बदलते हैं ये पिछले छह-सात माह में भारतीय जनता ने स्वयं देखा होगा .आज भी श्री मोदी ने जो कहा वह उन पर व् उनकी पार्टी के  विपक्ष में रहते हुए किये गए आचरण पर प्रश्न -चिह्न  लगाता है . श्री मोदी ने कहा -
कोल्हापुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि लोकतंत्र में आरोप नहीं बल्कि आलोचना बेहद जरूरी है। मीडिया पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में आलोचना जरूरी है, जो आजकल नहीं हो रही है। सिर्फ व सिर्फ आरोप लगाए जा रहे हैं। विश्वसनीयता को बचाए रखना आज मीडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शनिवार को एक मराठी अखबार के कार्यक्रम में पीएम ने कहा कि आलोचना नहीं होने से लोकतंत्र में गंदगी बढ़ रही है। आलोचना से जनतंत्र में शुद्धिकरण होता है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आरोप लगाने से कुछ नहीं मिलता।आलोचना तटस्थ भाव से हो तो वह देश व समाज के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन सिर्फ दुर्भावना से ग्रस्त होकर आरोप लगाने से नुकसान ही उठाना पड़ता है। मीडिया द्वारा की जाने वाली आलोचना को बेहद जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अगर आलोचना नहीं होगी तो ठहराव आ जाएगा। बहते पानी में कभी गंदगी नहीं होती, लेकिन एक बार पानी ठहर जाता है तो गंदगी होना शुरू हो जाता है।इसलिए लोकतंत्र का शुद्धिकरण इसका सबसे अच्छा इलाज आलोचना है। मोदी ने कहा कि मैं इस बात का पक्षधर हूं कि लोकतंत्र में आलोचना का महिमामंडन होना चाहिए। आलोचना से दुखी नहीं होना चाहिए। आलोचना नहीं होने से सत्ता में बैठे हुए लोग सबसे ज्यादा बर्बाद हो रहे हैं। समय की मांग है कि आरोपों से मुक्ति पाकर आलोचना की राह को प्रबल बनाया जाए।''[ जागरण से साभार ]
आज जब श्री मोदी व् उनकी सरकार की आलोचना की जा रही है विभिन्न मुद्दों पर तब वे इसे आलोचना न मानकर  ''आरोप'' की संज्ञा दे रहे हैं पर जब वे स्वयं मनमोहन सिंह जी पर अनर्गल आरोप लगाकर उन्हें एक कमजोर प्रधानमंत्री घोषित करने में लगे थे तब उन्होंने कभी ये नहीं सोचा कि  इस तरह की राजनीति कर वे सत्ता तो प्राप्त कर लेंगें पर एक ऐसी परम्परा को पोषित कर देंगें जो उन्हें भी आँखें दिखाएगी .आज मीडिया वही कर रहा जो वह पिछले दस साल से कर रहा था पर श्री मोदी को आज वो रुका हुआ गन्दा पानी नज़र आ रहा है .वे उपदेश दे रहे है आलोचना और आरोपों पर .मोदी जी इस सबका कोई फायदा नहीं है और आप जिस लोकतंत्र की बात करते हैं उसको आलोचना से आरोपों तक घसीट लाने का श्रेय आपको ही जाता है .मीडिया तो बाबा रामदेव के श्री राहुल गांधी पर  दिए अशालीन बयानों को भी खूब चटकारे लेकर प्रसारित कर रहा था तब वो आपकी दृष्टि में साफ़ पानी था .वो लोकतंत्र की जड़ें मजबूत कर रहा था पर आज जब आपकी साध्वी किसी को रामजादे कहती हैं और किसी को हरामजादे तब आप नहीं चाहते कि मीडिया इसे उछाले . ये तो वही बात हुई ना -''पर उपदेश कुशल बहुतेरे  ''

शिखा कौशिक 'नूतन'