मुंबई में मना गोडसे का 'बलिदान दिवस' |
जो गांधी के हत्यारे ;
गोडसे को पूजते हैं ,
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !
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गोडसे था मोहरा ;
पीछे थे लोग शातिर ,
जो रच रहे थे साज़िश ;
छद्म- हिंदुत्व खातिर ,
निहत्थे मसीहा के
कीलें ये ठोकते हैं !
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !
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दहशत फ़ैलाने वाले ;
बस क़त्ल करते जाते ,
मासूम खून से हैं ;
वो हाथ रंगते जाते ,
इंसानियत के दिल पर ;
चाकू ये घोंपते हैं !
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !
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जायज़ न कहो हरगिज़ ;
बापू के क़त्ल को तुम ,
और मत करो शर्मिंदा ;
कातिल को पूजकर तुम ,
उन्मादियों से हम सब
बस इतना पूछते हैं !
आतंक के चेहरे पर ;
किस मुंह से थूकते हैं !
शिखा कौशिक 'नूतन'