करीना पर ही क्यों निशाना ! |
लव-जिहाद को संघ ने जितनी बड़ी इस्लामिक साजिश के रूप में भारत की हिन्दू-संस्कृति के लिए खतरा बताया है उसको देखते हुए विश्व हिन्दू परिषद की महिला पत्रिका ''हिमालय वाहिनी ' के कवर पेज पर करीना कपूर का फोटो प्रकाशित करना कतई उचित नहीं .करीना पहली अभिनेत्री नहीं हैं जिन्होंने एक मुस्लिम पुरुष से निकाह किया है .उनकी सास शर्मीला टैगोर उनसे कम से कम तीन साढ़े तीन दशक पहले ऐसा कर चुकी हैं . लव-जिहाद जैसे गंभीर मुद्दे को किसी एक सेलिब्रिटी से जोड़कर हिन्दू संगठन कोई सार्थक सन्देश भारतीय समाज में प्रेषित नहीं कर रहा है . ये कहना कि युवा वर्ग इनसे प्रेरणा पाकर भ्रमित होता है नितांत गलत है .ये युवा वर्ग ही है जो इन अभिनेत्रियों के द्वारा अंग-प्रदर्शन किये जाने पर इनका विरोध करता है .मतलब ये कि हमारा युवा वर्ग अँधा नहीं जो इनके किये हर काम का अन्धानुसरण करे . ये अभिनेत्रियां फैशन आइकॉन बन सकती हैं पर संस्कार रोपने का काम ये नहीं करती .लव-जिहाद यदि एक साजिश है तो इसे हिन्दू परिवार अपनी संतानों में हिन्दू-संस्कार भरकर ही विफल कर सकते हैं . एक प्रश्न यहाँ यह भी उठाया जा सकता है कि जब बीजेपी के मुस्लिम नेता हिन्दू लड़की से निकाह करते हैं तब विश्व हिन्दू परिषद न तो संज्ञान लेकर हंगामा करती हैं और न ही उन लड़कियों के फोटो को अपनी पत्रिका के कवर पर स्थान देती हैं फिर करीना को ही इतना प्रताड़ित करने की क्या जरूरत है ? वैसे भी धर्म व्यक्तिगत मुद्दा है .यदि करीना को इस्लाम अपनाने में कोई आपत्ति नहीं तब विश्व हिन्दू परिषद क्यों अपने सिर में दर्द करती है . लव-जिहाद कोई साजिश नहीं बल्कि भारतीय हिन्दू परिवारों के मर्यादित आचरण का खंडित होना है जिसे केवल हिन्दू परिवार ही पुनः सशक्त कर सकते हैं . दुसरे धर्मावलम्बियों को बुराई देने से कोई फायदा नहीं होने वाला .
शिखा कौशिक 'नूतन'
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