चेले और शागिर्द

सोमवार, 5 जनवरी 2015

''कैसी घर वापसी ''



गरीब केवल गरीब होता है ,
वो न हिन्दू होता है
वो न मुसलमान होता है !
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उसको सुबह होते ही
चिंता  सताती है
बच्चों के पेट की
आग बुझाने की

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वो दिन भर मरता है
कटता है ,
धूप  में जलता है ,
बारिश में गलता है ,
ठण्ड में ठिठुरता  है
खींचता है रिक्शा ,
ठेलता है रेहड़े
,कमर पर उठाता है
सीमेंट के भरे
भारी कट्टे!
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उसमे कहाँ दम वो
 चर्चाओं में हो शामिल
धर्म पर करे
विचार-विमर्श ,
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उसका कोई घर भी कहाँ
जो कर सके
''घर वापसी ''


शिखा कौशिक 'नूतन

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