भूखी-प्यासी जनता ढूंढें नज़र नहीं वे आते हैं ,
अच्छे दिन का लालच देकर हाकिम सैर को जाते हैं !
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कभी-कभी मन की बातें कर जनता को बहलाते हैं ,
जनता को मीठी घुट्टी दे हाकिम सैर को जाते हैं !
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चायवाले हाकिम बनकर हाय पलट ही जाते हैं ,
सूट-बूट में ठाट-बाट से हाकिम सैर को जाते हैं !
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जाकर के परदेस में हाकिम कितनी रकम लुटाते हैं ,
मरो किसानों देश के प्यारो हाकिम सैर को जाते हैं !
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ऐसे अच्छे दिन से अच्छे पहले दिन ही भाते हैं ,
घर को आँख दिखाकर देखो हाकिम सैर को जाते हैं !
शिखा कौशिक 'नूतन'
1 टिप्पणी:
अति सुंदर लेख
Raksha Bandhan Shayari
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