चेले और शागिर्द

शनिवार, 3 जनवरी 2015

''पर उपदेश कुशल मोदी तेरे ''

लोकतंत्र में आरोप नहीं बल्कि आलोचना जरूरी : पीएम


सत्ता  में  आते  ही किस तरह सुर बदलते हैं ये पिछले छह-सात माह में भारतीय जनता ने स्वयं देखा होगा .आज भी श्री मोदी ने जो कहा वह उन पर व् उनकी पार्टी के  विपक्ष में रहते हुए किये गए आचरण पर प्रश्न -चिह्न  लगाता है . श्री मोदी ने कहा -
कोल्हापुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि लोकतंत्र में आरोप नहीं बल्कि आलोचना बेहद जरूरी है। मीडिया पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में आलोचना जरूरी है, जो आजकल नहीं हो रही है। सिर्फ व सिर्फ आरोप लगाए जा रहे हैं। विश्वसनीयता को बचाए रखना आज मीडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शनिवार को एक मराठी अखबार के कार्यक्रम में पीएम ने कहा कि आलोचना नहीं होने से लोकतंत्र में गंदगी बढ़ रही है। आलोचना से जनतंत्र में शुद्धिकरण होता है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आरोप लगाने से कुछ नहीं मिलता।आलोचना तटस्थ भाव से हो तो वह देश व समाज के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन सिर्फ दुर्भावना से ग्रस्त होकर आरोप लगाने से नुकसान ही उठाना पड़ता है। मीडिया द्वारा की जाने वाली आलोचना को बेहद जरूरी बताते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अगर आलोचना नहीं होगी तो ठहराव आ जाएगा। बहते पानी में कभी गंदगी नहीं होती, लेकिन एक बार पानी ठहर जाता है तो गंदगी होना शुरू हो जाता है।इसलिए लोकतंत्र का शुद्धिकरण इसका सबसे अच्छा इलाज आलोचना है। मोदी ने कहा कि मैं इस बात का पक्षधर हूं कि लोकतंत्र में आलोचना का महिमामंडन होना चाहिए। आलोचना से दुखी नहीं होना चाहिए। आलोचना नहीं होने से सत्ता में बैठे हुए लोग सबसे ज्यादा बर्बाद हो रहे हैं। समय की मांग है कि आरोपों से मुक्ति पाकर आलोचना की राह को प्रबल बनाया जाए।''[ जागरण से साभार ]
आज जब श्री मोदी व् उनकी सरकार की आलोचना की जा रही है विभिन्न मुद्दों पर तब वे इसे आलोचना न मानकर  ''आरोप'' की संज्ञा दे रहे हैं पर जब वे स्वयं मनमोहन सिंह जी पर अनर्गल आरोप लगाकर उन्हें एक कमजोर प्रधानमंत्री घोषित करने में लगे थे तब उन्होंने कभी ये नहीं सोचा कि  इस तरह की राजनीति कर वे सत्ता तो प्राप्त कर लेंगें पर एक ऐसी परम्परा को पोषित कर देंगें जो उन्हें भी आँखें दिखाएगी .आज मीडिया वही कर रहा जो वह पिछले दस साल से कर रहा था पर श्री मोदी को आज वो रुका हुआ गन्दा पानी नज़र आ रहा है .वे उपदेश दे रहे है आलोचना और आरोपों पर .मोदी जी इस सबका कोई फायदा नहीं है और आप जिस लोकतंत्र की बात करते हैं उसको आलोचना से आरोपों तक घसीट लाने का श्रेय आपको ही जाता है .मीडिया तो बाबा रामदेव के श्री राहुल गांधी पर  दिए अशालीन बयानों को भी खूब चटकारे लेकर प्रसारित कर रहा था तब वो आपकी दृष्टि में साफ़ पानी था .वो लोकतंत्र की जड़ें मजबूत कर रहा था पर आज जब आपकी साध्वी किसी को रामजादे कहती हैं और किसी को हरामजादे तब आप नहीं चाहते कि मीडिया इसे उछाले . ये तो वही बात हुई ना -''पर उपदेश कुशल बहुतेरे  ''

शिखा कौशिक 'नूतन'

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