चेले और शागिर्द

सोमवार, 27 जून 2011

नेता जी का बाबा से सवाल

नेता जी का बाबा से सवाल 

दिल्ली आकर फिर भरी बाबा ने हुँकार ;
भारत माँ का लाल हूँ न सहूँगा अत्याचार ;
जड़ से खींच निकालूँगा सारा भ्रष्टाचार ;
फिर क्यों भागे थे भला पहन सूट सलवार !
                                                        शिखा कौशिक 
                 http://netajikyakahtehain.blogspot.com


5 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

ramdev ji ka to shayad yahi jawab hoga-
''khara hoon main nahi hoon khota,
bada hoon main nahi hoon chhota,
main jo hoon khud hoon,
nahi hoon main sangh ya bjp ka mukhauta.''

Bharat Swabhiman Dal ने कहा…

कम शब्दों में गहरी बात ।

निर्मला कपिला ने कहा…

बाबा झूठ का पुलन्दा बन गया है। हाथ मे डायरी ले कर दिखाने का नाटक कर सच पर पर्दा नही डाल सकते।

virendra sharma ने कहा…

चाटुकार चमचे करें ,नेता की जयकार ,
चलती कारों में हुई ,देश की इज्ज़त तार .
छप रहे अखबार में ,समाचार सह बार ,
कुर्सी वर्दी मिल गए भली करे करतार ।
बाबा को पहना दीनि ,कल जिसने सलवार ,
अब तो बनने से रही ,वह काफिर सरकार ।
है कैसा यह लोकतंत्र ,है कैसी सरकार ,
चोर उचक्के सब हुए ,घर के पहरे -दार ,
संसद में होने लगा यह कैसा व्यापार ,
आंधी में उड़ने लगे नोटों के अम्बार ।
मध्य रात पिटने लगे ,बाल वृद्ध लाचार ,
मोहर लगी थी हाथ पर ,हाथ करे अब वार ।
और जोर से बोल लो उनकी जय -जय कार ,
सरे आम लुटने लगे इज्ज़त ,कौम परिवार ,
जब से पीज़ा पाश्ता ,हुए मूल आहार ,
इटली से चलने लगा ,सारा कारोबार ।
वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).,डॉ .नन्द लाल मेहता .

virendra sharma ने कहा…

संघर्ष को ज़ारी रखने के लिए जान बचाना ज़रूरी होता है .और फिर बाबा को तो एन काउंटर में मारा जाना दिखाया जाना था .इलज़ाम तो वीर-सावरकर पर भी माफ़ी मांगने का कुछ बौद्धिक भकुए और गुलाम आज भी लगातें हैं .बाबा तो फिर बाबा है राजनीति के दांव पेचों से अज्ञेय .