मनमोहन के तेवर !
''मौन तोड़ता हूँ अपना,बात सुनो अब मेरी ,
न तो मैं कमजोर हूँ ;न पद मेरी कमजोरी ,
अन्ना तो कठपुतली हैं ;किसी और हाथ है डोरी ,
मैं करता खुलेआम सब ,नहीं किसी से चोरी .''
शिखा कौशिक http://netajikyakahtehain.blogspot.com
4 टिप्पणियां:
शरम मगर हमको आती नहीं है.....
manmohan ji ne kahi ab bade pate ki bat,
ab dekhen dikhlayega vipaksh kaise halat.
bahut badhiya likha hai shikha ji.badhai.
ओ हो !खेत में खड़े बिजूके भी बोलतें हैं .जो बोलना तो चाहतें हैं ,आवाज़ नहीं निकलती .
मनमोहन जी दांत के डाक्टर के पास गए डाक्टर ने कहा अब यहाँ तो मुंह खोलो !!!
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