चेले और शागिर्द

शनिवार, 4 जून 2011

नेता जी का बाबा से सवाल !

नेता  जी  का  बाबा  से  सवाल ! 
बाबा अब सिखला रहे आसन का नया रूप  ,
रखो तुम आँखें खुली ;मत बनो कूप-मंडूक ,
हम पर क्यों हैं कर रहे बाबा अत्याचार ?
नेता भ्रष्ट न हो अगर फिर काहे की सरकार ! 

                                       शिखा कौशिक 

4 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

baba ne liya hai ek naya avtar,
ab neta ji rahenge bin bangla bin kar.bahut achcha likhti hain aap

Unknown ने कहा…

इतने भ्रष्ट नेताओं से तो अच्छे बाबा ही नेता होते। कम से कम देश की इतने बेईज्जती तो नहीं होती।

और आपकी कविताए छोटी मगर अर्थपूर्ण हैं। लिखते रहिए।

दीपक बाबा ने कहा…

बेचारा बाबा ...

तेजवानी गिरधर ने कहा…

चंद पंक्तियों में गहरी बात को पिरोने की आपकी कला की मैं दाद देता हूं, ये गॉड गिफ्ट है