''महिलाओं द्वारा यौन उत्पीड़न के बढ़ते आरोपों के बाद केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि हम लोग अब किसी भी औरत या लड़की को सेक्रेटरी बनाने से डरने लगे हैं।'' आखिर इस बयान पर इतने बवाल की जरूरत क्या है ?पुरुषों को भी अपनी बात रखने का महिलाओं जितना अधिकार है .महिलाओं को तो खुद कहना चाहिए कि ''आप क्या हमें सेक्रेटरी रखेंगें हम खुद नहीं बनना चाहते .जब पिता समान उम्र के पुरुषों का कोई यकीन नहीं तब हम क्यूँ पुरुष की सेक्रेटरी बनकर अपनी अस्मिता को खतरे में डालें !फारूख साहब शुक्रिया महिलाओं के बारे में पुरुषों के डर को सामने लाने हेतु !
शिखा कौशिक 'नूतन '
2 टिप्पणियां:
.सराहनीय बात कही है आपने औरत :आदमी की गुलाम मात्र साथ ही ये भी देखें नाबालिग :उम्र की जगह अपराध की समझ व् परिपक्वता देखी जाये .
समझ समझ का फेर
थोडा जल्दी,थोडा देर |
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