चेले और शागिर्द

रविवार, 15 दिसंबर 2013

”आप” या ”नक्सलवाद का नवीन संस्करण’

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नयी पार्टी जिसकी जीत में कुछ राजनैतिक विश्लेषकों को ''नई राजनीति ' की गुलाबी सुगंध आ रही है यदि उसकी कार्यविधियों व् भाषणों का गहराई से अध्ययन किया जाये तो उसमे भी वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने का वही प्रतिशोध नज़र आता है जो दशकों से नक्सलवाद के रूप में फल-फूल रहा है .
ये ईमानदार है ,ये शोषितों के खैरख्वाह है बिलकुल नक्सलवादियों की तरह .ये अपने भाषणों में वर्षों से देश की सेवा करते आ रहे नेताओं को भी नहीं बख्श रहे हैं .ये कॉग्रेस व् बीजेपी दोनों को खुले आम भ्रष्ट कह रहे हैं और इनका इरादा इन स्थापित पार्टियों का पूरा सफाया करने से है .ये नहीं कहते कि इन पार्टियों के भ्रष्ट नेताओं को निकाल बाहर करो -ये कहते हैं कि इन पार्टियों को भारतीय राजनीति के मानचित्र से मिटा दो .
''आप 'पार्टी का अतिवाद अभी दिल्ली झेल रही है और ये शीघ्र ही पूरे देश को अपने अतिवाद से रुबरु कराने के लिए पूरे भारत में कॉंग्रेस व् बीजेपी को बदनाम करने में लगे है .
अब जनता को स्वयं निर्णय लेना है कि आने वाले लोक सभा चुनावों में उन्हें एक व्यवस्थित सरकार देने वाली पार्टी को वोट देना है या नक्सली कट्टरता की ओर बढ़ते एक अतिवादी समूह को जिसे दिल्ली की जनता ने बहकावे में आकर अपने सिर पर चढ़ा डाला है .
शिखा कौशिक 'नूतन'

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