जिस दिन से सत्ता पाई है हाकिम तो मसरूफ है ,
हैं दीदार बहुत ही मुश्किल हाकिम तो मसरूफ है !
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पेट पिचककर लगा कमर से ज़ालिम कितनी भूख है ,
किसे पुकारें हाथ उठाकर हाकिम तो मसरूफ है !
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खींच खींच कर एक चिथड़े से बदन ढक रही बहनें हैं ,
आप बचा लो अपनी अस्मत हाकिम तो मसरूफ है !
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दूध दवा पानी को तरसें नन्हें मुन्ने बिलख बिलख ,
मरते हैं तो मर जाने दो हाकिम तो मसरूफ है !
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बिल्कुल नहीं मिटेगा ऐसे दर्द गरीबों का 'नूतन' ,
जब तक सत्ता मद में डूबा हाकिम तो मसरूफ है !
शिखा कौशिक 'नूतन'
1 टिप्पणी:
आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (27 दिसंबर, 2013) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।
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