चेले और शागिर्द

बुधवार, 6 अप्रैल 2011

उदार नेता जी

उदार नेता जी
देश बेचकर खाने का जिस पर 
आरोप लगाते हैं ,
गठबंधन के वास्ते उससे भी 
हाथ मिलाते हैं ,
हम नेता हैं  देश के मांगें 
सबकी खैर ,
न काहू से दोस्ती न 
काहू से बैर .       

3 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

vastav me aapme hi desh ka poora kalyan nihit hai.neta ji.
sateek v swasth vyangya.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

सही बात है.

https://worldisahome.blogspot.com ने कहा…

प्रिय शिखा जी,

झूटी तारीफ़ नहीं करता, आपको बरी से बरी बात बहुत आसान शब्दों में कहेने का हुनर है.

आप गीता के ऐसे ही अनुवाद की ओर भी सोचिये. आसान भाशा में एक भी नहीं है.

निवेदक
अशोक गुप्ता
दिल्ली