चेले और शागिर्द

बुधवार, 21 जनवरी 2015

जीत तो दिल्ली की जनता की ही होगी !


दिल्ली की जनता जैसा  भाग्यशाली कौन होगा ! आने वाले चुनावों  में मुख्यमंत्री पद पर जिन तीन प्रत्याशियों के नाम सामने आये हैं वे तीनों ही -ईमानदार हैं , काबिल हैं .  आखिर दिल्ली की जनता को ही  श्रेय जाता है कि उसने बीजेपी को विवश किया कि वो एक ईमानदार व् साफ़ छवि वाली किरण बेदी जो मुंख्यमंत्री के रूप में पार्टी का चेहरा बनाये .दूसरी और कॉंग्रेस ने भी शीला दीक्षित युग से बाहर आते हुए अजय माकन जी को पार्टी का चेहरा बनाया है .हालाँकि जनता की इस मांग को पार्टी में मनवाने के लिए राहुल जी को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है . तीसरी और सबसे विस्फोटक ईमानदार पार्टी ''आप'' के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अरविन्द केजरीवाल जी  के बारे में क्या कहना ! वे तो हैं ही जनता का प्रोडक्ट . जो भी पार्टी जीते ये तो निश्चित है कि दिल्ली को एक काबिल व् ईमानदार मुंख्यमंत्री मिलेगा .इससे बढ़कर भारतीय-राजनीति के लिए और क्या सुखद समाचार हो सकता है .

शिखा कौशिक 'नूतन'

रविवार, 18 जनवरी 2015

''किरण की लोकप्रियता दांव पर !''



राजनीति में आकर किरण बेदी जी ने अपनी लोकप्रियता दांव पर लगा दी है . यदि वे अपने बल पर बीजेपी को दिल्ली में बहुमत दिला पाती हैं तब उनकी जय-जयकार पक्की है किन्तु यदि वे इसमें असफल होती हैं तब उनका राजनैतिक कैरियर यही समाप्त हो जायेगा . अपनी कार्यशैली अथवा योग्यता के आधार पर समाज में लोकप्रियता हासिल करने वाले व्यक्ति जब भी राजनीति में आये उन्हें एक सीमा के बाद इससे किनारा  करना पड़ा .किरण बेदी जी एक ईमानदार व् काबिल अधिकारी रही हैं .वे दिल्ली की मुख्यमंत्री बनें तो दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की गरिमा को बढ़ाएंगी किन्तु राजनीति में ऐसे ईमानदार व्यक्ति को किस तरह से प्रताड़ित किया जाता है ऐसे  कई उदाहरणों से भारतीय-राजनीति का  इतिहास  भरा पड़ा है . राजनीति के शातिर खिलाडी इन लोकप्रिय चेहरों को पार्टी की जीत के लिए इस्तेमाल करते हैं और जब ये उनकी पार्टी को जीत दिला देते हैं तब पार्टी-अनुशासन के नाम पर इनकी कार्य-शैली को निशाना बनाया जाता है .किरण जी ने अपने पहले राजनैतिक कदम में ही बहुत बड़ा जोखिम उठा लिया है .यदि खुलकर कहें तो उनसे ये उम्मीद नहीं थी .

शिखा कौशिक 'नूतन'

रविवार, 11 जनवरी 2015

''राहुल बनें कॉंग्रेस-अध्यक्ष ''


होर्डिंग से खड़ा किया नया विवादImage result for rahul gandhi free images


मंगलवार [दिनाँक -१३ जनवरी २०१५] को आयोजित होने वाली कॉंग्रेस कार्यसमिति की महत्वपूर्ण बैठक में जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण विचारणीय  मुद्दा होगा -वह होगा पार्टी के नेतृत्व सम्बन्धी  लिए जाने वाले निर्णय का .एक ओर कानपुर में पार्टी के प्रमुख नेता राजीव शुक्ला जी ने बयान दिया है कि पार्टी नेतृत्व में क्या बदलाव किया जाये इस पर निर्णय केवल सोनिया जी व् राहुल जी लेंगें वहीं पार्टी के अनेक कार्यकर्त्ता प्रियंका गांधी जी को पार्टी की कमान सौपने की मांग लेकर जोशीला अभियान चला रहे   है . अब प्रश्न यह उठता   है कि   अपने सबसे बुरे दौर से गुजरती हुई देश की सबसे बड़ी पार्टी की नैय्या पार लगाने  में कौन सक्षम है  ? कसौटी  पर यदि राहुल जी को खरा बताया जाता है तब इसमें किसी भी प्रकार के मतभेद की सम्भावना नहीं .चुनावों में हार-जीत  के लिए केवल राहुल जी को  जिम्मेदार ठहराना तर्क-संगत नहीं . हमने देखा  कि चुनावों  के पास आते ही दस साल से कितने ही सत्ता का सुख भोग  रहे माननीय नेतागण पार्टी को ठेंगा दिखाकर अपने घर जाकर बैठ गए और राहुल जी व् सोनिया जी देश भर में रैलियां कर पार्टी की नीतियों व् कार्यों का प्रचार अकेले दम पर करते रहे . इसीलिए हार का ठीकरा भी उनके सिर पर फोड़ दिया गया .यदि आप जनता में जाकर पूछें  तो जनता का गुस्सा   उन निठल्ले   नेताओं के प्रति था न कि सोनिया जी व् राहुल जी के प्रति .राहुल जी ने गरीब जनता ,किसानों , महिलाओं के हितों को ध्यान में रखकर पिछले दस सालों में बहुत काम किया है .वे झूठी आशाएं नहीं बँधातें . वे अनुशासित तरीके से देश की व्यवस्था को पटरी पर लाना चाहते हैं .वे केवल अपने को प्रोडक्ट बनाकर प्रचारित नहीं करते .वे सबके सहयोग से देश की तरक्की की बात करते हैं . उनको पार्टी  यदि अध्यक्ष पद पर सुशोभित करना चाहती है तो इससे बढ़कर हर्ष की बात नहीं हो सकती है .प्रियंका जी को तो अभी पार्टी में आकर संगठन में दस साल का योगदान देना चाहिए और राहुल जी के नेतृत्व में पार्टी को मजबूत बनाने में सहयोग करना चाहिए . एक दम से उन्हें पार्टी-अध्यक्ष बना देना उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं होगा . पार्टी-कार्यकर्ताओं को भी इस हकीकत को जानना व् समझना चाहिए . जोश में होश न खोएं .

शिखा कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 8 जनवरी 2015

करीना पर ही क्यों निशाना !

क्यों छापा करीना का चेहरा?
करीना पर ही क्यों निशाना !

लव-जिहाद को संघ ने जितनी  बड़ी इस्लामिक साजिश के रूप में भारत की हिन्दू-संस्कृति के लिए खतरा बताया है उसको देखते हुए विश्व हिन्दू परिषद की महिला  पत्रिका ''हिमालय वाहिनी ' के कवर पेज पर करीना कपूर  का  फोटो  प्रकाशित   करना  कतई  उचित  नहीं   .करीना पहली  अभिनेत्री  नहीं  हैं जिन्होंने  एक  मुस्लिम  पुरुष  से  निकाह  किया  है .उनकी  सास  शर्मीला  टैगोर  उनसे  कम  से  कम  तीन  साढ़े  तीन  दशक  पहले  ऐसा  कर  चुकी  हैं . लव-जिहाद जैसे गंभीर  मुद्दे को किसी एक सेलिब्रिटी से जोड़कर हिन्दू संगठन कोई सार्थक सन्देश भारतीय समाज में प्रेषित नहीं कर रहा है . ये कहना कि युवा वर्ग इनसे प्रेरणा पाकर भ्रमित होता  है नितांत गलत   है .ये युवा वर्ग ही है जो इन अभिनेत्रियों के द्वारा अंग-प्रदर्शन किये जाने पर इनका विरोध करता है .मतलब ये कि हमारा युवा वर्ग अँधा नहीं जो इनके किये हर काम का अन्धानुसरण करे . ये अभिनेत्रियां फैशन आइकॉन बन सकती हैं पर संस्कार रोपने का काम ये नहीं करती .लव-जिहाद यदि एक साजिश है तो इसे हिन्दू परिवार अपनी संतानों में हिन्दू-संस्कार भरकर ही विफल कर सकते हैं . एक प्रश्न यहाँ यह भी उठाया  जा सकता है कि जब बीजेपी के मुस्लिम नेता हिन्दू लड़की से निकाह करते हैं तब विश्व हिन्दू परिषद न तो संज्ञान लेकर हंगामा करती हैं और न ही उन लड़कियों के फोटो को अपनी पत्रिका के कवर पर स्थान देती हैं फिर करीना को ही इतना प्रताड़ित करने की क्या जरूरत है ? वैसे भी धर्म व्यक्तिगत मुद्दा है .यदि करीना को इस्लाम अपनाने में कोई आपत्ति नहीं तब विश्व हिन्दू परिषद क्यों अपने सिर में दर्द करती है . लव-जिहाद कोई साजिश नहीं बल्कि भारतीय हिन्दू परिवारों के  मर्यादित आचरण का खंडित  होना है जिसे केवल हिन्दू परिवार ही पुनः सशक्त कर सकते हैं . दुसरे  धर्मावलम्बियों  को बुराई देने से कोई फायदा  नहीं होने वाला .

शिखा कौशिक 'नूतन'

मंगलवार, 6 जनवरी 2015

नाम पाकिस्तान है ,तेरा काम-तमाम है !





मुल्क बड़ा शैतान है ,
नाम  पाकिस्तान है !
बरसाता सीमा पर गोले ,
जबकि युद्ध-विराम है !
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बड़े अकड़कर अलग हुए थे ;
बांटा था जब हिन्दुस्तान !
ज़न्नत जैसी ज़मी को तुमने  ,
बना दिया है कब्रिस्तान !
फिर भी कितना अभिमान है !
नाम पाकिस्तान है !
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अमन-चैन का दुश्मन है ,
झूठों में नंबर वन है ,
आतंक का पर्याय है ,
सबको आँख दिखाए है !
कितना बेईमान है !
नाम पाकिस्तान है !
.......................................
दुनिया भर के आतंकी ,
यहाँ शरण पा जाते हैं ,
मासूमों के कातिल भी ,
''साहिब'' का रुतबा पाते हैं ,
दहशत फैलाना काम है !
नाम पाकिस्तान है !
.................................
अपनी चालों में फंस जाते  ,
अपने बच्चे क़त्ल कराते ,
तब भी मक्कारी न छोड़ें ,
हम पर हैं इल्ज़ाम लगाते ,
दुनिया में बदनाम हैं !
नाम पाकिस्तान है !
....................................
बहकाकर ये नवयुवकों को ,
ज़ालिम दहशतगर्द बनाते ,
भरी जवानी में उनको ये ,
बदनामी की मौत सुलाते ,
देकर 'जिहाद' का नाम हैं !
नाम पाकिस्तान है !
...................................
कितने नीच हैं ये मक्कार ,
छिप-छिप कर करते हैं वार ,
लाशें अपने सैनिकों की
लेने से करते इंकार ,
मानवता पर इल्ज़ाम है  !
नाम पाकिस्तान है !
......................................
मासूमों को बना निशाना ,
खेल रहा क्यूँ खुनी खेल !
बाज़ नहीं आया ग़र बुझदिल ,
देंगें तुझको परे धकेल ,
तेरा काम-तमाम है !
नाम पाकिस्तान है !

जय हिन्द ! जय भारत !

शिखा कौशिक 'नूतन'





सोमवार, 5 जनवरी 2015

''कैसी घर वापसी ''



गरीब केवल गरीब होता है ,
वो न हिन्दू होता है
वो न मुसलमान होता है !
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उसको सुबह होते ही
चिंता  सताती है
बच्चों के पेट की
आग बुझाने की

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वो दिन भर मरता है
कटता है ,
धूप  में जलता है ,
बारिश में गलता है ,
ठण्ड में ठिठुरता  है
खींचता है रिक्शा ,
ठेलता है रेहड़े
,कमर पर उठाता है
सीमेंट के भरे
भारी कट्टे!
.......................
उसमे कहाँ दम वो
 चर्चाओं में हो शामिल
धर्म पर करे
विचार-विमर्श ,
...................................
उसका कोई घर भी कहाँ
जो कर सके
''घर वापसी ''


शिखा कौशिक 'नूतन

रविवार, 4 जनवरी 2015

''सच जानने का कॉंगेस सहित पूरे देश को हक़ है ''

PUBLISHED IN 'JANVANI 'S CYBER WORLD ON 5-1-2015





Pakistani Boat Carrying Explosives Blows Up at Sea Off Porbandar-Pak boat blasts,burns-Paki boat- दो दिन पूर्व आई इस खबर ने जैसे तहलका ही मचा दिया . भारत-सरकार ने दावा किया कि यह नौका विस्फोटकों से भरी थी और भारतीत तट-रक्षकों द्वारा पीछा किये जाने पर नौका में विस्फोट हो गया और उसमे सवार चारों लोग सहित सब कुछ समुन्द्र में डूब गया . भारत सरकार के इस दावें पर जब कॉंग्रेस ने ये प्रश्न-चिन्ह लगाये कि सरकार  ये स्पष्ट करे कि किस आतंकी संगठन ने इस घटना को अंजाम दिया और सरकार ने किन तथ्यों पर इस घटनाको आतंकवादियों से जोड़ा ? तब  बीजेपी के प्रवक्ता  श्रीकांत शर्मा  द्वारा कॉंग्रेस पर ही पलटवार करते हुए कॉंग्रेस को आतंकियों की भाषा बोलने वाला कहा गया  . यह  अत्यंत निंदनीय है .उन्हें जानना चाहिए कि बीजेपी के शासन में संसद पर हुए हमले के आरोपी अफज़ल गुरु को कॉंग्रेस के राज में ही फांसी पर लटकाया गया और मुंबई में ताज होटल में हुए आतंकी हमले का दोषी अजमल कसाब भी कॉंग्रेस के राज में ही फांसी पर चढ़ा दिया गया . किसी भी घटना का सच जानने का अधिकार हर भारतीय को है .इसका अर्थ यह नहीं कि प्रश्न पूछने वाला आतंकवादियों का पक्ष ले रहा बल्कि इसे इस रूप में लिया जाना चाहिए कि कहीं त्रुटिवश आप एक साधारण घटना को आतंकी कार्यवाही का नाम देकर देश को दहशत के दलदल में तो नहीं डाल रहे है . श्रीकांत शर्मा  द्वारा किया गया पलटवार ये भी साबित करता है कि बीजेपी केवल स्वयं को देशभक्त और अन्य सभी पार्टियों को गद्दार की संज्ञा देने की सोच रखती है जबकि कॉंग्रेस के ६० साल के राज में आज तक देश अपनी पूरी गरिमा के साथ विश्व में महत्वपूर्ण स्थान बनाये हुए है . आप आतंक या पाकिस्तान का नाम लेकर यदि देश -वासियों को अपने मजबूत नेतृत्व के भुलावे में डालने का प्रयास करते रहिये लेकिन सच न तो कभी दबता है और न ही दबेगा .

शिखा कौशिक 'नूतन