नेता जी क्या कहते हैं ?
चेले और शागिर्द
रविवार, 20 फ़रवरी 2011
नेता जी का दुःख
अब मेरी मजबूरी पर आंसू तो बहाओ ,
बड़ा मासूम हूँ इतना तो मान जाओ,
घोटाला क्यूँ हुआ? कैसे हुआ ?
पता नहीं चलता ;
मैं ऐसा बादशाह हूँ !
जिसका कहीं सिक्का नहीं चलता .
शिखा कौशिक
http://netajikyakahtehain.blogspot.com/
1 टिप्पणी:
Shalini kaushik
ने कहा…
bhai vah....
20 फ़रवरी 2011 को 8:29 am बजे
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
bhai vah....
एक टिप्पणी भेजें