है अगर कुछ आग दिल में ;
तो चलो ए साथियों !
हम मिटा दे जुल्म को
जड़ से मेरे ए साथियों .
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रौंद कर हमको चला
जाता है जिनका कारवां ;
ऐसी सरकारों का सिर
मिलकर झुका दे साथियों .
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रौशनी लेकर हमारी;
जगमगाती कोठियां ,
आओ मिलकर नीव हम
इनकी हिला दे साथियों .
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घर हमारे फूंककर
हमदर्द बनकर आ गए ;
ऐसे मक्कारों को अब
ठेंगा दिखा दे साथियों .
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जो किताबे हम सभी को
बाँट देती जात में;
फाड़कर ,नाले में उनको
अब बहा दे साथियों .
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हम नहीं हिन्दू-मुसलमां
हम सभी इंसान हैं ;
एक यही नारा फिजाओं में
गुंजा दे साथियों .
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है अगर कुछ आग दिल में
तो चलो ए साथियों
हम मिटा दे जुल्म को
जड़ से मेरे ए साथियों .
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शिखा कौशिक 'नूतन'
2 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रस्तुति-
बहुत बहुत शुभकामनायें आदरणीया-
बढ़िया..
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