चेले और शागिर्द

शनिवार, 27 जनवरी 2018

मेरा वज़ूद ऐसा है !

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मेरे दुश्मन को है खलता , मेरा वज़ूद ऐसा है ,
गिराने से नहीं गिरता , मेरा वज़ूद ऐसा है !
दिलों में बस गया है जो ,फकत इक नाम ऐसा है ,
मिटाने से नहीं मिटता , मेरा वज़ूद ऐसा है !
मैं आगे हूँ या पीछे हूँ मगर फोकस में मैं ही हूँ ,
हटाने से नहीं हटता , मेरा वज़ूद ऐसा है !
मेरे दिल में उमड़ता मुल्क से जो इश्क -ए-समंदर ,
घटाने से नहीं घटता , मेरा वज़ूद ऐसा है !
अगर तूफ़ान हो तुम , मैं भी हूं जलता हुआ दीपक ,
बुझाने से नहीं बुझता ,मेरा वज़ूद ऐसा है !
शिखा कौशिक 'नूतन'

6 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

शानदार ग़ज़ल

अपर्णा वाजपेयी ने कहा…

क्या बात है .लाज़वाब । हमारा वज़ूद ऐसा ही होना चाहिए ।
सादर

kya hai kaise ने कहा…

अति सुंदर लेख
Raksha Bandhan Shayari

विमल कुमार शुक्ल 'विमल' ने कहा…

सुन्दर

bhuneshwari malot ने कहा…

बहुत सुंदर

Ankityadav ने कहा…

bhut hi badiya post likhi hai aapne. Ankit Badigar Ki Traf se Dhanyvad.