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बीजेपी मजबूर है , दिल्ली बहुत दूर है !
आडवानी स्वीकार नहीं ,मोदी में बहुत ग़ुरूर है !
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कमल बना अब लोहा है ,मर्यादा चकनाचूर है !
सत्ता पाने को तत्पर इनका नहीं कसूर है !
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बांटों भारत की जनता रखना याद जरूर है !
मन्दिर वही बनाने का ,लालच देते भरपूर हैं !
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बतलाती है बीजेपी ,अपना तो ये दस्तूर है !
बिन सत्ता नेता विधवा सत्ता ही सिन्दूर है !
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सिर पर चढ़कर बोलता मोदी का खूब फितूर है !
कुनबा टूट चुका इनका मोदी नामंज़ूर है !
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बीजेपी की राजनीति अब राज ......और ....राज ही रह गयी है क्योंकि नीतीश कुमार के अलग होते ही राज से नीति तो स्वयं अलग हो गयी
राजनीति का समीकरण -
राज [ नाथ ] _ [नीति (ईश् ) ]=मोदी
शिखा कौशिक 'नूतन'