[ अमर उजाला दैनिक 11 मई 2012 पेज 11 ]
काला धन न सफ़ेद हुआ बाबा के बाल सफ़ेद !राजनीति की कोठरी में छिपे हुए हैं भेद ,
ऐसी छलनी में क्या छने जिसके हो छोटे छेद ,
काले धन को लेकर बाबा को है बड़ा खेद ;
इस चक्कर में हो गए उनके बाल सफ़ेद .
शिखा कौशिक
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति....
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