जिस जनता की खातिर
हम तिल-तिल कर हैं मरते ,
सरकारी गाड़ी में हम
दौरे करते फिरते ;
वो जनता जब देती ताने
वो भी सहते हैं ,
नेता जी क्या कहते हैं ?
वोट के बदले नोट हैं देते
उन्हें पिलाते दारू ,
सत्ता-दूध इसी से मिलता
जनता गाय दुधारू ;
ये जो रूठे;सपने टूटे
आंसू बहते हैं ,
नेता जी क्या कहते हैं ?
मीठे-मीठे भाषण देकर
झूठे करते वादे ;
घोटाले करते रहते
वैसे हैं सीधे-सादे ;
सत्ता पाकर सत्ता-मद में
डूबे रहते हैं ;
नेता जी क्या कहते हैं ?
ए. सी. रूम के भीतर
नीति निर्धारित करते
लूट के जनता का पैसा
अपने घर में भर लेते ;
जनता जूते मारे तब भी
हम हँस देते हैं ;
शिखा कौशिक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें