चेले और शागिर्द

मंगलवार, 27 मार्च 2012

[नेता जी क्या कहते हैं ?]

''माननीय'' पर फेंक रहे गाली के पत्थर    ;
खुद नेता बनने चले  ! कुछ तो रख अंतर ,
इस पर तो नेताओं का अधिकार है निरंतर ;
कहाँ हैं संसद और कहाँ है जंतर -मंतर . 
                        शिखा कौशिक 

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