चेले और शागिर्द

सोमवार, 31 मार्च 2014

''तुम हो नहीं सकते हिंदुत्व के प्रचारक ''

नरेंद्र मोदी का पीएम बनने का सपना

''मोदी इन दिनों इस तरह से बात कर रहे हैं, जैसे वो प्रधानमंत्री बन चुके हैं।''
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मोदी  नहीं  ये उनका  घमंड बोलता है ,
सत्ता के तलबगारों का घमंड बोलता है !
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मासूम  हुए क़त्ल इनकी रियासत में ,
अफ़सोस फिर भी इनका न दंभ डोलता है !
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ये खुद को कहें इन्सां तो इंसानियत शर्मिंदा ,
फिज़ा में ज़हरीले काले रंग घोलता है  !
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तुम हो नहीं सकते हिंदुत्व के प्रचारक ,
राम रख तराजू सत्ता संग तोलते हो !
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'नूतन' छिपा नहीं है सियासत का इनका खेल ,
खुद बोलकर एक एक कर पाखंड खोलते हैं !


शिखा  कौशिक  'नूतन'

रविवार, 30 मार्च 2014

'भारत की इस बहू में दम है .''-सोनिया गाँधी


  

भारत की इस बहू में दम है -सोनिया गाँधी

२१ मई १९९१ की रात्रि को जब तमिलनाडु में श्री पेराम्बुदूर में हमारे प्रिय नेता राजीव गाँधी जी की एक बम विस्फोट में हत्या कर दी गयी वह क्षण पूरे भारत वर्ष को आवाक कर देने वाला था .हम इतने व्यथित थे.... तब उस स्त्री के ह्रदय की वेदना को समझने का प्रयास करें जो अपना देश ..अपनी संस्कृति और अपने परिवारीजन को छोड़कर यहाँ हमारे देश में राजीव जी की सहगामिनी -अर्धांगिनी बनने आई थी .मैं बात कर रही हूँ सोनिया गाँधी जी की .निश्चित रूप से सोनिया जी के लिए वह क्षण विचिलित कर देने वाला था -
''एक हादसे ने जिंदगी का रूख़ पलट दिया ;
जब वो ही न रहा तो किससे करें गिला ,
मैं हाथ थाम जिसका आई थी इतनी दूर ;
वो खुद बिछड़ कर दूर मुझसे चला गया .''
सन १९८४ में जब इंदिरा जी की हत्या की गयी तब सोनिया जी ही थी जिन्होंने राजीव जी को सहारा दिया पर जब राजीव जी इस क्रूरतम हादसे का शिकार हुए तब सोनिया जी को सहारा देने वाला कौन था ?दिल को झंकझोर कर रख देने वाले इस हादसे ने मानो सोनिया जी का सब कुछ ही छीन लिया था .इस हादसे को झेल जाना बहुत मुश्किल रहा होगा उनके लिए .एक पल को तो उन्हें यह बात कचोटती ही होगी कि-''काश राजीव जी उनका कहना मानकर राजनीति में न आते ''पर ....यह सब सोचने का समय अब कहाँ रह गया था ?पूरा देश चाहता था कि सोनिया जी कॉग्रेस की कमान संभालें लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया .२१ वर्षीय पुत्र राहुल व् 19 वर्षीय पुत्री प्रियंका को पिता की असामयिक मौत के हादसे की काली छाया से बाहर निकाल लाना कम चुनौतीपूर्ण नहीं था .
अपने आंसू पीकर सोनिया जी ने दोनों को संभाला और जब यह देखा कि कॉग्रेस पार्टी कुशल नेतृत्व के अभाव में बिखर रही है तब पार्टी को सँभालने हेतु आगे आई .२१ मई १९९१ के पूर्व के उनके जीवन व् इसके बाद के जीवन में अब ज़मीन आसमान का अंतर था .जिस राजनीति में प्रवेश करने हेतु वे राजीव जी को मना करती आई थी आज वे स्वयं उसमे स्थान बनाने हेतु संघर्ष शील थी .क्या कारण था अपनी मान्यताओं को बदल देने का ?यही ना कि वे जानती थी कि वे उस परिवार का हिस्सा हैं जिसने देश हित में अपने प्राणों का बलिदान कर दिया .कब तक रोक सकती थी वे अपने ह्रदय की पुकार को ? क्या हुआ जो आज राजीव जी उनके साथ शरीर रूप में नहीं थे पर उनकी दिखाई गयी राह तो सोनिया जी जानती ही थी .
दूसरी ओर विपक्ष केवल एक आक्षेप का सहारा लेकर भारतीय जनमानस में उनकी गरिमा को गिराने हेतु प्रयत्नशील था .वह आक्षेप था कि-''सोनिया एक विदेशी महिला हैं '' . सोनिया जी के सामने चुनौतियाँ ही चुनौतियाँ थी .यह भी एक उल्लेखनीय तथ्य है कि जितना संघर्ष सोनिया जी ने कॉग्रेस को उठाने हेतु किया उतना संघर्ष नेहरू-गाँधी परिवार के किसी अन्य सदस्य को नहीं करना पड़ा होगा .
सोनिया जी के सामने चुनौती थी भारतीयों के ह्रदय में यह विश्वास पुनर्स्थापित करने की कि -''नेहरू गाँधी परिवार की यह बहू भले ही इटली से आई है पर वह अपने पति के देश हित हेतु राजनीति में प्रविष्ट हुई है ''.यह कहना अतिश्योक्ति पूर्ण न होगा कि सोनिया जी ने इस चुनौती को न केवल स्वीकार किया बल्कि अपनी मेहनत व् सदभावना से विपक्ष की हर चाल को विफल कर डाला .लोकसभा चुनाव २००४ के परिणाम सोनिया जी के पक्ष में आये .विदेशी महिला के मुद्दे को जनता ने सिरे से नकार दिया .सोनिया जी कॉग्रेस [जो सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर आया था ]कार्यदल की नेता चुनी गयी .उनके सामने प्रधानमंत्री बनने का साफ रास्ता था पर उन्होंने बड़ी विनम्रता से इसे ठुकरा दिया .कलाम साहब की हाल में आई किताब ने विपक्षियों के इस दावे को भी खोखला साबित कर दियाकी कलाम साहब ने सोनिया जी को प्रधानमंत्री बनने से रोका था .कितने व्यथित थे सोनिया जी के समर्थक और राहुल व् प्रियंका भी पर सोनिया जी अडिग रही .अच्छी सरकार देने के वादे से पर वे पीछे नहीं हटी इसी का परिणाम था की २००९ में फिर से जनता ने केंद्र की सत्ता की चाबी उनके हाथ में पकड़ा दी .
विश्व की जानी मानी मैगजीन ''फोर्ब्स ''ने भी सोनिया जी का लोहा माना और उन्हें विश्व की शक्तिशाली महिलाओं में स्थान दिया -
7
Sonia Gandhi
President
सोनिया जी पर विपक्ष द्वारा कई बार तर्कहीन आरोप लगाये जाते रहे हैं पर वे इनसे कभी नहीं घबराई हैं क्योकि वे राजनीति में रहते हुए भी राजनीति नहीं करती .वे एक सह्रदय महिला हैं जो सदैव जनहित में निर्णय लेती है .मनरेगा ,सूचना का अधिकार व् खाद्य-सुरक्षा बिल उनकी ही प्रेरणा से संसद में पास हुए .उनके कुशल नेतृत्व में सौ करोड़ से भी ज्यादा की जनसँख्या वाला हमारा भारत देश विकास के पथ पर आगे बढ़ता रहे बस यही ह्रदय से कामना है .आज महंगाई ,भ्रष्टाचार के मुद्दे लेकर विपक्ष सोनिया जी को घेरकर २०१४ के लोक-सभा चुनाव में विजय श्री प्राप्त करने के फेर में है पर विजय श्री उसकी ही होगी जो दिल से देश को एकता के सूत्र में बांधे रखना चाहता है .न कि हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर वोट की राजनीति करता है .सोनिया जी के साथ पूरा हिंदुस्तान है .सोनिया जी अपने विपक्षियों से यही कहती नज़र आती हैं-
''शीशे के हम नहीं जो टूट जायेंगें ;
फौलाद भी पूछेगा इतना सख्त कौन है .''
वास्तव में सोनिया जी के लिए यही उद्गार ह्रदय से निकलते हैं -''भारत की इस बहू में दम है .''
शिखा कौशिक 'नूतन'

शुक्रवार, 28 मार्च 2014

''श्री मोदी एक कमजोर व्यक्तित्व ''



प्रतिदिन श्री मोदी कहीं न कहीं अपना करिश्मा दिखाने के लिए अपना प्रचार कर रहे हैं . अफ़सोस की बात है कि पार्टी [बीजेपी] का प्रचार वे नहीं कर रहे हैं . अब धीरे धीरे उनकी कमजोरियां झलकने लगी हैं . गुजरात का ये कथित शेर जब भी दहाड़ता है तब उसके निशाने पर केवल और केवल हमारे राहुल गांधी जी ही होते हैं .हां आजकल अपने से ज्यादा लहरीले केजरीवाल के प्रति भी वे सख्त लहजे में बयान देने लगें हैं .राहुल जी के सद्प्रयास '' प्राइमरी द्वारा प्रत्याशी का चुनाव ' पर वे चुटकी लेते हैं . मोदी जी थोडा भी अगर आप देश की राजनीति का भला चाहने वाले होते तो कम से कम इस सद्प्रयास पर तो राहुल जी की तारीफ जरूर करते पर ...पर आपमें ये सद्भावना कहाँ ! आप तो गुजरात में हुए मासूमों के क़त्ल तक के लिए माफ़ी मांगने में अपना अपमान समझते हैं .आप कितने कमजोर हैं श्री मोदी कि आप आज तक गुजरात की जनता को ये यकीन तक नहीं दिला पाये कि उनका मुख्यमंत्री केवल एक इंसान है -हिन्दू या मुसलमान नहीं .सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल किसी महिला के निजी जीवन को उघाड़ने के लिए करते हैं . देश के लिए प्राणोत्सर्ग करने वाले गांधी परिवार के प्रति अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं .अपनी ही पार्टी की योग्य महिला उम्मीदवार श्रीमती सुषमा स्वराज को एक ओर कर अपने लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी रिजर्व करते हैं .श्री मोदी की सबसे बड़ी कमजोरी ही यही है वे जो कुछ भी करते हैं अपनी महत्वाकांक्षा को पूरी करने के लिए करते हैं . वे इतना भी धीरज नहीं रख पाते कि चुनाव में जनता के निर्णय के बाद ही प्रधानमंत्री बनने का सपने देखें . वे करोड़ों का नकली लाल-किला बनवाकर समय-पूर्व ही अपनी लालसा को प्रकट कर देते हैं .क्या प्रधानमंत्री बनकर ही जनता का प्रतिनिधित्व किया जा सकता है श्री मोदी ? राहुल जी [ जिन्हें आप ''शहजादा '' कहकर अपमानित करने का प्रयास करते हैं ] उनकी कार्य-शैली देखिये .दस साल तक उनकी पार्टी ने केंद्र में बनी सरकार का नेतृत्व किया और राहुल जी ने कोई पद नहीं लिया .केवल जनता की आवाज बनने का ,उसके सपने पूरे करने का भरकस प्रयास किया .भट्टा-पारसोल में किसानों की जमीनों के लिए प्रदेश-सरकार के सामने सीना तान कर खड़े हो गए और भूमि-अधिग्रहण कानून में परिवर्तन करा के ही माने . देश की युवा-शक्ति को राजनीति में आने के लिए न केवल प्रेरित किया बल्कि अपनी पार्टी में उनके लिए रास्ता भी बनाया . भ्रष्टाचार के खिलाफ जो सबसे प्रमुख हथियार है ''लोकपाल बिल '' उसे संसद में पास करने के लिए राहुल जी ने अपना सौ प्रतिशत योगदान किया और श्री मोदी सिल्क का कुरता पहने अपनी सभाओं में बस ''शहज़ादा ..शहजादा ...शहज़ादा ...'' करते घूमते रहे . श्री मोदी आप की कमजोरी यही है कि आप अपने द्वारा किये जाने वाले कामों को नहीं गिनाते आप केवल उन कामों को गिनाने का प्रयास करते हैं जो गठबंधन की सरकार बनाये रखने के कारण कॉंग्रेस नहीं कर पाई श्री मोदी आप भूल गए कि मंज़िल अपने पैरों पर चलकर मिलती है ..दूसरे के पैर काट देने से नहीं .निश्चित रूप से श्री मोदी जैसा कमजोर व्यक्ति प्रधानमंत्री बनने का सपना तो जरूर देख सकता है पर कभी भारत जैसे सशक्त देश का प्रधानमंत्री नहीं बन सकता .

शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 26 मार्च 2014

''हम भारत माँ के शहज़ादे !''

खेतों में खलियानों में ,संसद के गलियारों में ,
हम दफ्तर में , हम थानों में ,
हम खेलों के मैदानों में ,
हम पर्वत पर हम सागर में ,
हम सीमा पर हम घर -घर में ,
युवा - शक्ति हैं हम बुलंद हैं इरादे
हम भारत माँ के शहज़ादे !
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बढाकर कदम पीछे हटते नहीं ,
हमें देख खतरे भी टिकते नहीं ,
फौलादी सीनें हैं फूलों सा दिल ,
दुश्मन के आगे भी झुकते नहीं ,
'जय हिन्द 'फ़िज़ा में गूँजा दें !
हम भारत माँ के शहज़ादे !
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सपना हर एक करना साकार है ,
कोशिश को देना आकार है ,
वतन की तरक्की का मकसद लिए
चुनौती हर एक हमको स्वीकार है ,
तिरंगा गगन में फहरा दें !
हम भारत माँ के शहज़ादे !
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आते हैं जब राजनीति में हम ,
जन-जन की सेवा की लेते कसम ,
जनतंत्र के प्रहरी हैं हम ,
जनता की आवाज़ बनते हैं हम ,
सोते हुए को जगा दें !
हम भारत माँ के शहज़ादे !
शिखा कौशिक 'नूतन '

रविवार, 23 मार्च 2014

हमेशा काटते शागिर्द ही उस्ताद की गर्दन !




सियासत को अगर समझो जुबानें बंद रहने दो !
खिलाफत मत करो समझो जुबानें बंद रहने दो !
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बड़ी मक्कारियाँ कर के हवा अपनी बनाई है ,
बनो नादान मत यारों जुबानें बंद रहने दो !
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मिला जो तख़्त तुमको भी नवाजेंगे ईनामों से ,
हमारी चाल चलने दो जुबानें बंद रहने दो
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खफा होना है हो जाओ झुकेंगे हम नहीं हरगिज़ ,
इशारों को समझ जाओ जुबानें बंद रहने दो !
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हमेशा काटते शागिर्द ही उस्ताद की गर्दन ,
ये 'नूतन' सबको बतलाओ जुबानें बंद रहनें दो !

शिखा कौशिक 'नूतन'

शुक्रवार, 21 मार्च 2014

हाँ मौत का सौदागर मैं ही हूँ शहर का !

करना न खिलाफत मेरी मालिक हूँ शहर का ,
खूंखार मैं सरकार हूँ हाकिम हूँ शहर का !
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गर्दन पे रख तलवार बोला था मैं ये हंसकर ,
साबित करो कि मैं ही कातिल हूँ शहर का !
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लब खोलने से पहले अंज़ाम सोच लो ,
सबसे बड़ा जल्लाद मैं ज़ालिम हूँ शहर का !
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अदालतों को चाहियें सुबूत और गवाह ,
सब को मिटाने वाला मैं शातिर हूँ शहर का !
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इंसाफ की उम्मीद रखना नहीं 'नूतन' ,
हाँ मौत का सौदागर मैं ही हूँ शहर का !
शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 19 मार्च 2014

काशी न जाएँ मोदी अभी !


सत्ता मद जिस सिर चढ़ा उसको भोग सुहाये ,

सत्ता पाने के लिए मोदी-मन अकुलाये ,

काम,क्रोध ,मद ,लोभ कभी 'भोले' को ना भायें ,

मुक्ति की हो कामना तब काशी को जाएँ !


शिखा कौशिक 'नूतन'

मंगलवार, 18 मार्च 2014

''अजी बावली है बीजेपी''- short -story


  ''अजी सुनते हैं आजकल  एक नारा ''अबकी बार। मोदी सरकार '' दिन-रात दूरदर्शन पर सुनते -सुनते मैंने भी ये मन बना लिया है कि मैं इस बेचारे को ही वोट दे दूँगी। इसका चुनाव निशान क्या है जी ? श्रीमती जी के ये पूछते ही उनके पतिदेव भड़कते हुए बोले -''मुझे क्या पता ?इस बेचारे से ही पूछ  लो। मैं तो बीजेपी को वोट दूंगा और उसका चुनाव -निशान है 'कमल '। ''पतिदेव के जवाब पर श्रीमती जी मुंह बनाते हुए बोली -''  अजी छोडो भी बीजेपी का राग अलापना। देख लेना अपने मोदी की ही सरकार बनेगी और आपकी बीजेपी धूल का फूल बनकर रह जायेगी। बड़े आये कमल वाले !'' पतिदेव श्रीमती जी के ये कहते ही ठहाका लगाते हुए बोले -''अरी बावली मोदी बीजेपी के ही तो प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं !'' श्रीमती जी उलाहना देती हुई बोली -''अजी बावली मैं नहीं आपकी बीजेपी है जो नारा ये देने के बजाय ''अबकी बार -बीजेपी सरकार '' ये दे रही है -''अबकी बार -मोदी सरकार '' ...... !''

शिखा कौशिक 'नूतन '

संघर्षों से निखरेगा राहुल जी का व्यक्तित्व



आने वाले लोक सभा २०१४ के चुनाव परिणाम जो भी हो पर राहुल गांधी जी ने यह साबित कर दिया है कि यदि इस समय वास्तव में कोई नेता सच्चे ह्रदय से राजनैतिक भ्रष्ट व्यवस्था को सुधारने के लिए दृढ़-संकल्प है तो वे हैं केवल -राहुल गांधी जी . उन्होंने जनता के साथ वार्तालाप का नया मार्ग चुना और माना कि पहले केवल नेता आते थे और भाषण देकर चले जाते थे पर अब ऐसा नहीं है .चुनाव-घोषणा पत्र में वही मुद्दे रखे जायेंगें जिन पर जनता मुहर लगाएगी . राहुल जी ने दस साल के राजनैतिक कैरियर में अनुभव से सीखा और अपने को जनता की उम्मीदों के अनुसार ढाला पर इस प्रक्रिया में मीडिया ने उनकी निंदा करने का मार्ग अपनाया जबकि होना तो यह चाहिए था कि मीडिया उनकी प्रशंसा करता .जनता +नेता+मीडिया =हम सबको मिलकर ही इस देश की समस्याओं के उपाय ढूंढने हैं .व्यक्तिगत पसंद को सार्वजानिक पसंद के रूप में थोपने के लिए ये तो जरूरी नहीं कि किसी उभरते हुए राष्ट्रिय व्यक्तित्व को नीचा गिराने की कोशिश की जाये पर मीडिया ने यही किया .राहुल जी की गरिमा को गिराने का कुत्सित प्रयास किया गया .एक झूठे रेप के मामले को बेवजह उछाला गया , राहुल जी को युवराज ,बुद्धू ,पप्पू और भी न जाने क्या-क्या अपमानजनक संज्ञाओं से विभूषित किया गया . मीडिया के अलावा विपक्षी नेताओं ने भी राहुल जी के प्रति अभद्र भाषा का खुलकर प्रयोग किया पर ये राहुल जी की शालीनता ही है कि उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं तक को अभद्र-भाषा के प्रयोग से रोका .यही है हमारे राष्ट्रीय -व्यक्तित्व की पहचान . महिलाओं के एक समूह से वार्तालाप के दौरान वे कहते हैं ''मैं आपसे समर्थन मांगने नहीं आया ..मैं आपसे वोट मांगने भी नहीं ..मैं चाहता हूँ आप खुद इतनी मजबूत बनें कि कोई आपका शोषण न कर पाये .'' यही है वो सोच जो हम आज के अपने राष्ट्रीय नेता में चाहते हैं .निश्चित रूप से संघर्षो से राहुल जी के व्यक्तित्व में और निखार आएगा .जो हमारे देश के लिए शुभ-संकेत है .
शिखा कौशिक 'नूतन'

शुक्रवार, 14 मार्च 2014

इलेक्शन आने वाला है !

इलेक्शन आने वाला है !

https://www.youtube.com/watch?v=0aIlD_qeRWE



मेरे दरवाजे पर  हुई थी खट खट
मैं चला खोलने उसको झट पट 
वे खड़े हुए थे हाथ जोड़कर  
मैं देख रहा था उन्हें चौककर 
फिर समझ में आया ये सब क्या गड़बड़झाला है ?
इलेक्शन आने वाला है !
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वे बोले हम हैं सेवक और तुम हो स्वामी 
हम दीन हीन से भक्त ;तुम अंतर्यामी 
वे झुके चरण छूने को ज्यों ही नीचे 
मैं हटा बड़ी तेजी से थोडा पीछे 
वे बोले हाथ तुम्हारे अब लाज बचाना है .
इलेक्शन आने वाला है !
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जो काम कहोगे सब कर देंगें
बर्तन मान्जेंगें ;कपडे धो देंगें
हम एक जात के ये भूल न जाना
बस नाम हमारे पर बटन दबाना
वोट मांगने का उनका अंदाज निराला है .
इलेक्शन आने वाला है !
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मैं बोला दूंगा वोट सोच समझ कर
जात धर्म से ऊपर उठकर
तुम तो करते हो झूठे वादे
नहीं रखते हो तुम नेक इरादे
जनता जीजा होती है और नेता साला है .
इलेक्शन आने वाला है !
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वे बोले लगता तुझे समझ न आया
तू नहीं जानता नेता की माया
तू न सुधरा तो उठवा लेंगें
तेरी वोट खुद ही हम डलवा  लेंगें 
हम तन के उजले हैं पर मन तो काला है .
इलेक्शन आने वाला है !

                                  शिखा कौशिक 'नूतन'