चेले और शागिर्द

सोमवार, 25 मई 2015

अच्छे दिन का लालच देकर हाकिम सैर को जाते हैं !


narendra modi, one year of modi govt, narendra modi one year, narendra modi one year prime minister, narendra modi one year govt, may 26 narendra modi, may 26, bjp, nda, narendra modi photos, narendra modi news, modi news, india news, narendra modi bjp, prime minister narendra modi, pm narendra modi, one year prime minister, one year pm, prime minister modi, pm modi, narendra modi pictures, narendra modi gallery, photo gallery, indian express, indian express news, indian express gallery, barack obama, narendra modi barack obama, xi jinping, narendra modi xi jinping, shinzo abe, narendra modi shinzo abe, sonia gandhi, congress, manmohan singh, former pm manmohan singh, mamata banerjee, narendra modi mamata banerjee, modi in bengal, modi in china, modi in nepal, modi in america, modi in usa, barack obama in india, barack obama india visit, modi foriegn tour, make in india, swacch bharat, swacch bharat campaign, niti aayog, planning commission, planning commssion scrapped, independence day, india independence day
भूखी-प्यासी जनता ढूंढें नज़र नहीं वे आते हैं ,
अच्छे दिन का लालच देकर हाकिम सैर को जाते हैं !
................................................................
कभी-कभी मन की बातें कर जनता को बहलाते हैं ,
जनता को मीठी घुट्टी दे हाकिम सैर को जाते हैं !
.........................................................................
चायवाले हाकिम बनकर हाय पलट ही जाते हैं ,
सूट-बूट में ठाट-बाट से हाकिम सैर को जाते हैं !
..................................................................
जाकर के परदेस में हाकिम कितनी रकम लुटाते हैं ,
मरो किसानों देश के प्यारो हाकिम सैर को जाते हैं !
...................................................................
ऐसे अच्छे दिन से अच्छे पहले दिन ही भाते हैं ,
घर को आँख दिखाकर देखो हाकिम सैर को जाते हैं !

शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 20 मई 2015

धिक्कार है ऐसे प्रधानमंत्री को !

भारत के हर प्रधानमंत्री ने हर संभव प्रयास किया देश को विकास की राह पर ले जानें का पर ऐसा प्रचार नहीं किया जितना श्री मोदी कर रहे हैं .आज जो स्वागत श्री मोदी का विदेशों में हो रहा है वो एक भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में किया जा रहा है पर इसे श्री मोदी का व्यतिगत स्वागत के रूप में प्रचारित किया जा रहा है .विदेशी धरती पर श्री मोदी का बार-बार यह कहना कि एक वर्ष से पहले भारत बहुत ख़राब स्थिति में था और अब एक वर्ष में भारत दुनिया की बहुत उभरती हुई अर्थव्यवस्था हो गयी है -उनके अल्प-ज्ञान का उदहारण है .ऐसा प्रधानमंत्री न पहले कभी भारत का हुआ था और न होगा -जो विदेशों में ऐसे भाषण दे रहा है जैसे बिहार या उत्तर-प्रदेश में चुनाव-प्रचार के लिए भाषण दिए जा रहे हो . धिक्कार है ऐसे प्रधानमंत्री को  जो देश की गरिमा पूरे विश्व  में तार-तार कर रहा है .

मंगलवार, 19 मई 2015

मोदी :राष्ट्रनायक नहीं खलनायक !

Modi statements ??cause trouble for them

 मोदी ने की देश की बेइज्जती 

 मोदी ने कहा था कि कुछ समय पहले तक भारतीय देश में पैदा होने पर शर्म महसूस करते थे।

जब तक केंद्रीय सत्ता में नहीं थे ये 
भारत में जन्म लेने पर 
शर्म आती थी इन्हें !
...............................................
सत्ता में आते ही 
चमत्कार कर डाला 
भारत को तीन सौ पैंसठ दिन में 
विश्व की महाशक्ति बना डाला !
.................................................
एक वर्ष में तीस से ज्यादा 
विदेशों की यात्रा ,
ये है मोदी सरकार की 
उपलब्धि ,
विदेशी धरती पर 
दिए ऐसे भाषण कि
शर्मिदा है हर भारत वासी 
अरे मोदी जी !
भारत की अस्मिता 
मिटटी  में मिलकर रख दी !
..........................................
भारत को विश्व में सम्मान 
दिलाने वाले हमारे पूर्वज भी 
देख रहे होंगें ,
ये कैसा राष्ट्र-नायक आया ?
जिसने उनके अमूल्य योगदानों को 
दो  कौड़ी का बताया 
और सूट-बूट पहनकर 
खुद पर ही इतराया !
......................................
ऐसे राष्ट्र-खलनायक 
पर लगना चाहिए 
राष्ट्र-अपमान का अभियोग !
शेख़चिल्लियों की जुबानों 
पर लगे निर्णायक रोक !
................................
सदैव से है 'भारत '
विश्व का गौरव ,
क्या बीता हुआ कल और 
क्या आने वाला कल ,
अगली बार जब चुनों 
राष्ट्र-नायक 
भावनाओं से ऊपर 
रखना अक्ल !

शिखा कौशिक 'नूतन'  



शनिवार, 16 मई 2015

''खुले हाकिम की मक्कारी ''

Image result for congres farmers rally in delhi free images


खुले हाक़िम की मक्कारी
गिरें साज़िश की दीवारें ,
हमारे मुल्क की किस्मत
हमारे हाथ में होंगी !
.............................................
हमारे साथ गद्दारी
नहीं अब और कर सकते ,
हिला देंगें तेरी सत्ता
के इज़्ज़त खाक में होगी !
..............................................
हमें मजबूर कहकर
आग सीने में लगाते  हो ,
इसी से राख अब लंका
तुम्हारे दर्प की होगी !
......................................
तुम्हारे खौफ से हरगिज़
नहीं अब लब रहेंगें चुप ,
खुलेगा हर गुनाह तेरा
तुझे शर्मिंदगी होगी !
........................................
हमें तू क़त्ल कर ,काट दे ,
फांसी पर चढ़ा दे तू ,
खिलाफत की हमारी धार
हाकिम कुंद न होगी !


शिखा कौशिक 'नूतन'

सोमवार, 4 मई 2015

''हो रही मोहब्बतें ख़ाक के सुपुर्द हैं ! ''

पिछले शुकवार की रात [१ मई २०१५] को महाराष्ट्र से आ रहे जमातियों से बड़ौत रेलवे स्टेशन पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा बदसलूकी और जमातियों के पक्ष में आये सम्प्रदाय विशेष के उग्र समर्थकों द्वारा थाने व् रेलवे स्टेशन पर किये गए हिंसक प्रदर्शन ने कांधला [शामली] कसबे के अमन-चैन को तहस-नहस कर डाला . कांधला फाटक पर हुए बवाल के चलते दिल्ली-सहारनपुर रूट पर कई ट्रेन बाधित हुई थीं। हजारों यात्री मुसीबत में फंसे थे। तोड़फोड़, पथराव के बाद दहशतजदा यात्री जंगलों में छिपकर यहां से निकले। ऐसी घटनाओं से आम जन का दैनिक जीवन अनेक समस्याओं से भर जाता है . असामाजिक तत्वों की करतूतों को रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए और ऐसी वारदातें फिर न हो इसके लिए जिम्मेदार नागरिकों को अमन -चैन बनाये रखने हेतु अपने स्तर से प्रयासरत रहना होगा .कोई भी ऐसा काम न करें जिससे किसी दुसरे धर्म के अनुयायी की भावनाओं को ठेस पहुंचे . वरना यही कहना होगा - माहौल तो काबू में है ; चेहरे ज़र्द हैं ! नफरतों के बोझ से दिलों में दर्द हैं ! ....................................................... है ज़हालत का ये सारा खेल कितना खौफनाक , हो रही मोहब्बतें ख़ाक के सुपुर्द हैं ! ......................................................... फ़सादी लूटते हैं जो औरतों की अस्मतें , जानवर हैं वे सभी ; मर्द वे नामर्द हैं ! ......................................................... बेमुरौवत नफरतों की आग हैं भड़का रहे , ये अमन की आँख में झोंक रहे गर्द हैं ! .......................................................... मिट रहा 'नूतन' सुरूर आपसी यक़ीन का , हो बाज़ार या मिज़ाज़ पड़ गए ये सर्द हैं ! शिखा कौशिक 'नूतन'