चेले और शागिर्द

गुरुवार, 30 जनवरी 2014

''नेता जी है धरने पर !''


बैन है जीने मरने पर ,
नेता जी है धरने पर !
हाई फीवर ऑनेस्टी का
आता नहीं उतरने पर !!
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नेता जी का है ऐलान ,
नहीं सहेंगे वे अपमान ,
होगा सड़कों पर सब काम ,
लोकतंत्र का लेकर नाम ,
बिन पानी के बदल बनकर
जोर है खूब गरजने पर !
नेता जी है धरने पर !
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वो जो करते वही सही है ,
नेता जी ने कहा यही है ,
ध्वस्त व्यवस्था को कर देंगें ,
वरना इनका नाम नहीं है ,
हम हैं असली 'आम आदमी '
लगे हैं साबित करने पर !
नेता जी है धरने पर !
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आम आदमी की सरकार
आम आदमी ही लाचार ,
धरने , अनशन , नारेबाज़ी ,
कैसे पाये इनसे पार ?
बाँध के मफलर पहन के टोपी
झाडू फेरी सपनों पर !
नेता जी है धरने पर !
शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 29 जनवरी 2014

सबूत न मिल पायेगा कातिल है हुनरमंद !


[2002 Gujarat riots: No conspiracy, Narendra Modi showed alacrity in ...
www.ndtv.com › Cheat Sheet‎
Dec 26, 2013 - A Gujarat court today ruled that Narendra Modi will not face charges in the 2002 riots in the state, rejecting a petition by Zakia जाफरी]
सबूत न मिल पायेगा कातिल है हुनरमंद !
वो हाथ नहीं आएगा कातिल है हुनरमंद !
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क़त्ल करके मेरा हमदर्द बना कातिल ,
आंसू भी बहायेगा कातिल है हुनरमंद !
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कातिल ने मिटा डाले सब खून के छींटे ,
बन पाक-साफ आएगा कातिल है हुनरमंद !
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कैसे हुआ है क़त्ल कातिल है भला कौन ?
ये पूछ कर दिखायेगा कातिल है हुनरमंद !
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''नूतन'' ये जानता है शातिर बड़ा कातिल ,
मुर्दा न बोल पायेगा कातिल है हुनरमंद !
शिखा कौशिक 'नूतन '

रविवार, 19 जनवरी 2014

भाजपा को आज एक राहुल गाँधी चाहिए !

देश की ऐसी दुर्दशा कभी नहीं देखी
दिल्‍ली के रामलीला मैदान में भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस और यूपीए सरकार पर तीखा हमला बोला। हमला बोलने में सुषमा जी ने भी उनका खूब साथ दिया .आखिर इसके अलावा उनके पास है ही क्या ? राहुल ..राहुल ...राहुल ...केवल इस नाम का उच्चारण कर कर के बीजेपी सत्ता में आना चाहती है .राम -मंदिर मुद्दा हो या अनुच्छेद ३७० -सब छोड़ने को तैयार है बीजेपी .कोई स्पष्ट एजेंडा नहीं देश के विकास का पर देश को भरमाने का पुरजोर प्रयास . हमारी सलाह है कि अपनी पार्टी के लिए ख़ून से सने हाथों वाला नेता छोड़कर कोई राहुल जी जैसा सर्वप्रिय नेता तैयार करे बीजेपी शायद तब २०१४ के लोक सभा चुनाव में उन्हें अपने प्रत्याशी मैदान में उतारने चाहियें -

भाजपा को आज एक राहुल गाँधी चाहिए
घुट  रही  है भाजपा ;परिवर्तन आंधी चाहिए ,
भाजपा को आज एक राहुल गाँधी चाहिए .
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पद का मोह जिसको  न  हो संगठन पर ध्यान दे  ;
मखमली  नेता नहीं  मोटी  खादी  चाहिए .
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चुक गए नेता हैं जो संन्यास लेने  को कहो ;
उनको लोभ- मोह  छोड़  लेनी  समाधि चाहिए .
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तर्क की  अब  धार  भाजपा में  न  रही  ;
बात  पूरी  न  सही  आधी  तो  होनी चाहिए .
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सबल  विपक्ष लोकतंत्र का  रहा  प्रहरी  सदा  ;
भाजपा की  दूर होनी हर  व्याधि  चाहिए .

शिखा  कौशिक 'नूतन'

गुरुवार, 16 जनवरी 2014

राहुल का जवाब

 rahul gandhi is like a bird and narendra modi is lion
भाजपा की नेता मेनका गांधी ,जो राहुल गांधी जी की चाची भी हैं ,ने राहुल गांधी को चिड़िया बताया है, जबकि बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को शेर बताया है।एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मेनका गांधी ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा है कि राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के बीच कोई मुकाबला नहीं है।
मेनका जी इस हद तक गिरकर अपने पुत्र सामान राहुल जी की आलोचना करेंगी इसका अनुमान वे सब लगा सकते हैं जो ये जानते हैं कि इन मेनका गांधी जी ने द्वेष की आग में जलकर हमेशा से राजीव गांधी जी के परिवार की अनर्गल आलोचना की है . कभी ये खुद जहर उगलती हैं तो कभी इनके सुपुत्र वरुण जी . गांधी परिवार का हिस्सा रही मेनका जी का यह आचरण उन्हें खुद की नज़रों में कितना ऊँचा उठाता है ये तो वे जानें पर पूरे भारत की जनता की नज़रों में वे बहुत गिर जाती हैं जब वे अपने पुत्र सामान राहुल जी की अनर्गल आलोचना करती हैं .राहुल जी तो उनकी इन गिरी हुई बातों का कोई जवाब देंगें नहीं पर हम अपने शब्दों में मेनका जी को ये जवाब जरूर देना चाहेंगें राहुल जी की ओर से -
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कलेजा फूल का लेकर नहीं आया सियासत में ,
किया फौलाद का इसको तभी आया सियासत में !
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खिलाफत से तुम्हारी हौसले मजबूत होते हैं ,
तेरी तारीफ की खातिर नहीं आया सियासत में !
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गिराने की करो पुरजोर कोशिश रात-दिन तुम सब ,
मैं गिर गिर कर संभलने को यही आया सियासत में !
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नहीं मैं शेर ना चिड़िया ज़रा तुम गौर से देखो ,
मैं एक इंसान बनकर ही आया सियासत में !

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मेरे तप को नहीं भंग कर सकेगी कोई मेनका ,
मैं 'नूतन' बनकर कामारि आया  सियासत में !
शिखा कौशिक 'नूतन'

सोमवार, 6 जनवरी 2014

उसको सियासत से भला क्या काम है !!

उसको सियासत से भला क्या काम है !!

उसको सियासत से भला क्या काम है !!

इंसानियत जिस दिल बसी उसको सियासत से भला  क्या  काम  है  !
जिस शख्स में रहमदिली उसको सियासत से भला क्या काम है !!
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जो दूसरों के दर्द देख नम हुई भीग गई पलके ,
गैरों के दर्द देख जो आँखें बही उसको सियासत से भला क्या काम है !!
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नेक  नीयत  से करे  जो मुल्क  की  खिदमत ,
लूटना मकसद नहीं उसको सियासत से भला क्या काम है !
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इन्सान को इन्सान मान पूजता है जो ,
करता न बाते मज़हबी उसको सियासत से भला क्या काम है !
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नूतन हैं केवल एक दो ढूंढ कर तुम देख लो ,
जिनके लिए लिखो यही उसको सियासत से भला क्या काम है !!


context-Don't go beyond party line: Rahul Gandhi ET6 hrs ago
NEW DELHI: In a signal that out-of-turn remarks will not be tolerated, Rahul Gandhi today warned that those who go beyond the party line will face action. "Spokespersons and panelists may have their individual views, but as party spokespersons and paneli

शिखा कौशिक 'नूतन '


शनिवार, 4 जनवरी 2014

''मोदी से नफरत क्यूँ ?''


प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी ने ३ जनवरी २०१४ को हुई अपनी प्रेसवार्ता में 24 कैरेट सच्ची कही है कि -''अगर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो यह देश के लिए विनाशकारी होगा .'' ये मात्र मनमोहन सिंह जी की ही राय नहीं है बल्कि हर उस भारतीय की राय है जिसके दिल-दिमाग में आज भी सन २००२ के गुजरात दंगों में मारे गए मासूमों की चीखें-आहें खलबली मचा रही हैं .प्रधानमंत्री जी के इस बयान पर उखड़ते हुए बीजेपी अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह जी की प्रतिक्रिया कि ''श्री मोदी को एस.आई.टी.व् कोर्ट से क्लीन चिट मिल चुकी है '' राजनाथ जी के भीतर मर चुकी नैतिकता का एक प्रमाण मात्र है .उनसे पूछना चाहिए कि श्री मोदी के खिलाफ सुबूत दंगा-पीड़ित कहाँ से लायेंगें जिससे कोर्ट में उन्हें दोषी करार दिया जा सके ? क्या दंगों में बलात्कृत गर्भवती मुस्लिम महिला के पेट को चीरकर निकाला गया बच्चा देगा सुबूत या फिर अपनी जान बचाने के लिए खून से लथ-पथ व्यक्ति आपको सुबूत देगा !
ठहाका मारकर कातिल ने माँगा क़त्ल का सुबूत ,
इशारा उस तरफ करते हमारे हाथ कट गए !
सत्ता -प्राप्ति के लिए श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के नाम का दुरूपयोग करने वाली पार्टी के अध्यक्ष ये भूल गए हैं शायद कि गुजरात दंगों के समय अटल जी ने इन श्री मोदी को ''राज धर्म के पालन की '' सख्त सलाह दी थी .तब ये श्री मोदी मात्र गुजरात के मुख्यमंत्री थे ..अब अगर ये प्रधानमंत्री बन जाते हैं तब कौन इन्हें राज-धर्म के पालन के लिए बाध्य कर पायेगा ?
ट्विटर हो अथवा ब्लॉग हर जगह मुझसे यही प्रश्न किया जाता है कि ''मोदी से इतनी नफरत क्यूँ ?गुजरात दंगें तो गोधरा काण्ड की देन थे '' जवाब है -'' गोधरा हो जाता है ..जवाब में दंगें हो जाते हैं और श्री मोदी हाथ पर हाथ रखे हुए थे !!!
शहर में आग लगाकर हाकिम है लापता ,
दहशत से झुलसे चेहरे हमारे हाथ कट गए !
यदि किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री सभी समुदायों -धर्मों के लोगों में पारस्परिक सद्भाव बनाये रखने में असफल रहता है तो उसे इस पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है .''यदि मुसलमानों ने हिंदुओं की जान ली है तो हिंदुओं को ये अधिकार है कि वे मुसलमानों की जान लें . '' श्री मोदी की इस कुनीति से तो सारा भारत ही मर-कट कर ख़त्म हो जायेगा .प्रतिशोध की इस आग में घी डालने वाले श्री मोदी अभी तो केवल तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री बनें है यदि सत्ता प्राप्ति के लिए वे ऐसे ही कुत्सित कर्म करते रहे तो अनंत -काल तक उनकी सत्ता पर पकड़ बनी रहेगी फिर चाहे जनता का कुछ भी हो !
वास्तव में श्री मोदी जैसे राजनेता अपने कर्त्तव्य-पालन से पथ-भ्रष्ट होकर जब तक जनता के बीच धर्म के आधार पर उनमें असुरक्षा की भावना भरते रहेंगें तब तक देश में अमन-चैन की बात करना बेमानी है .धार्मिक नेता व् राजनेता जब मंचों से चिल्लाते हैं -'' इस्लाम खतरे में है '' ''हिंदुओं की बहू-बेटियों की इज्जत सुरक्षित नहीं है '' तब जनता में भरी असुरक्षा की भावना अपने चरम पर पहुंचकर मरने-मारने के आक्रोश में बदल जाती है और ऐसे नेताओं में श्री मोदी का स्थान बहुत ऊपर है .उनका काम है हिंदुओं में असुरक्षा भरना कि ''केवल मैं ''गुजरात का शेर '' ''लौह पुरुष '' तुम लोगों को सुरक्षित रख सकता हूँ अथवा मुसलमान तुम्हें मार डालेंगें '' बीजेपी जिस बात पर सपा की बुराई करती है उसी के आधार पर श्री मोदी को पी.एम्. का प्रत्याशी घोषित करती है .
जिनके मखौटा मुंह पर बगल में छुरी दबी ,
हाथ मिला उनसे हमारे हाथ कट गए !
श्री मोदी के समर्थक ये कहते हुए फूले नहीं समाते कि २००२ के बाद गुजरात में दंगें नहीं हुए ये श्री मोदी की ही करामात है .हाँ ये करामात है -२००२ में हुए दंगों में न्याय के लिए भटकते दंगा-पीड़ितों के पास होगा इसका जवाब -
खुले जब लब कटी गर्दन लिखते हाथ कट गए ,
उठा न दें जो पर्दा झूठ से हमारे हाथ कट गए !
ऐसे हालातों में श्री मोदी का प्रधानमंत्री बनना न केवल देश के लिए बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए विनाशकारी ही होगा .बीजेपी को अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीद्वार के नाम पर पुनर्विचार अवश्य करना चाहिए . अन्यथा यही कहते नज़र आयेंगें भारतवासी-
जिसने भी की खिलाफत नूतन क़त्ल हो गया ,
हम भी मुखालिफ थे हमारे हाथ कट गए !
शिखा कौशिक 'नूतन'